सागर. हर साल की तरह इस साल भी सागर जिलों में डीप और भूमध्यसागरीय किसानों को झेलनी पड़ रही है। सरकारी किसानों को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, यही वजह है कि डीएपी आने की खबर है कि सोसायटी हो या खाद्य वितरण केंद्र सभी जगह के लोगों की लंबी-लंबी लाइन लगी हुई है। यहां तक ​​कि लोग रात में ही इंस्टालेशन पर अपना नंबर ले लेते हैं।

बताएं कि सोयाबीन मक्का की कटाई हो जाने के बाद अब गेहूं चना मसूर सरसों अरहर की कटाई की जानी है। इसके लिए किसानों ने पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन उन्हें अपने साथ डीएपी की जरूरत नहीं है। सरकार के द्वारा डीएपी और डिग्री के रूप में भी विकल्प दिये गये हैं, लेकिन उनका भी औषधालय नहीं हो पा रहा है।

सागर जिले में लगभग 3 लाख किसान हैं, जो 40 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती करते हैं। उनके लिए 38 हजार जिला स्ट्राइकर टन डीपीपी की मांग विपणन अधिकारी द्वारा की गई है, लेकिन अब तक केवल 10 हजार टन टन डीपीपी और एनपीके ही उपलब्ध हो पाए हैं। इससे किसानों को डीएपी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, 45 हजार टन कंक्रीट की भी मांग की गई थी, लेकिन अभी तक सिर्फ 15 हजार टन कंक्रीट की ही सुविधा उपलब्ध है। हालाँकि, लातविया का उपयोग 15-20 दिन बाद शुरू होता है।

26,000 किसान कारखाने से खाद लेने के पात्र
सागर जिले में केवल 26,000 किसान उद्यमों से खाद लेने के पात्र हैं, अर्थात वे डिपाजिटर नहीं हैं। जिले में 173 सरकारी समितियां हैं, जिनमें से 116 नोटिफिकेशन में ही खाद भेजी जा सकी है, लेकिन अब तक केवल 25 नोटिफिकेशन में ही खाद भेजी जा सकी है। जिला विपणन अधिकारी राखी रघुवंशी ने बताया कि हाल ही में डीएपी की एक रैक आई है, जिसमें सेकर में भेजा गया है, और इसी कारण कुछ जगहों पर किसानों की भीड़ देखने को मिल रही है। खाद्य सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, और अब तक सरकार से 10,500 टन खाद्य सामग्री उपलब्ध हो चुकी है।

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