श्रवण कुमार महंत
सरगुजा.
अंधविश्वास के युवा एक युवा की जान खतरे में पड़ गए। असली युवा आकाशीय बिजली के चपेट में आ गया जिसके बाद युवाओं को अस्पताल न ले जाने के बाद कचरे के ढेर में डाल दिया गया। लोगों का मानना ​​है कि आकाशीय बिजली की चपेट में आने वाले लोगों को कचरे के ढेर में गाड़ देने पर आकाशीय बिजली का असर खत्म हो जाता है। इसी तरह का मामला सरगुजा जिले के मैनपाट में देखने को मिला जब ग्राम सुपलगा के किशोरियां मंझवार के घर में बिजली चराने के दौरान आकाशीय बिजली के झटके आये तो परिवार वालों ने युवाओं को कचरे के ढेर में डाल दिया। इससे युवाओं की जान खतरे में पड़ गई थी।

पूर्वी, ग्रामीण क्षेत्र में अंधविश्वासी परंपरा यह है कि आकाशी बिजली के गांव में आने वाले लोगों को कचरे के ढेर में गाड़ देना चाहिए। इसी वजह से समय पर इलाज की कमी से कई लोगों की जान चली जाती है। सुपलगा गांव के युवा कैथेड्रल ने अंधविश्वास का खेल तुरंत देखा ही 108 पादरी को कॉल कर गांव बुलाया और युवाओं को समुदाय के कचरे से अंधविश्वास का खेल खेलना शुरू कर दिया। इससे युवाओं की जान बच जाती है।

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अंधविश्वास के खेल में पड़ना गलत और प्राकृतिक, अप्राकृतिक उपचार होगा सही इलाज
युवाओं को मैनपाट के कमलेश्वरपुर के सांस्कृतिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया है। अभी भी युवाओं की हालत खराब हो गई है। मामले में जिला अस्पताल अंबिकापुर के डॉक्टर अर्पण सिंह चौहान का कहना है कि बारिश के दौरान आकाशीय बिजली से लोगों को राहत मिलनी चाहिए। वहीं, आकाशीय बिजली की चपेट में आने वाले लोगों को अंधविश्वास के खेल में न पड़कर तुरत ही अपने खुले के अस्पताल में ले जाना चाहिए ताकि युवाओं की जान बच सके।

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