जांजगीर चांपा: खोखरा जिले में दहीकांडो उत्सव की परंपरा 70 ग्राम से अधिक समय से चली आ रही है। यह उत्सव सात दिनों तक मनाया जाता है और इसमें श्री कृष्ण को समर्पित नाच-गाना, नाटक, लीला, और हुनकी निकाली जाती है। खोखरा गांव के लोग इस उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं, जिसे देखने के लिए आसपास के इलाके के भी लोग आते हैं।

साम्प्रदायिक समुदाय की भागीदारी
किसान वर्ग खेती के काम के साथ-साथ समय-समय पर भगवान कृष्ण को समर्पित इस उत्सव में भाग लेते हैं और पुण्य के भागीदार बनते हैं। हर साल, खोखरा में यह दहीकांडो उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

घटना की विशेषता
स्थानीय कलाकार भरत लाल कहारा ने बताया कि खोखरा में माता चौरा में यह दहीकांडो का आयोजन होता है, जो प्रतिदिन शाम 3 बजे से रात 9 बजे तक चलता है। इस दौरान भगवान कृष्ण की भक्ति शामिल है, जिसमें स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक मंच शामिल है। दहीकांडो के ईवेंट के बीच में कारोबार होता है, जब भी किसान दुकानें बंद करके मसाले का इंतजार कर रहे होते हैं।

सांस्कृतिक शिक्षक
इस अवसर पर गांव के लोग कदम के पेड़ के प्रतीक को स्थापित कर वहां राधा रानी को रखते हैं। गांववाले बाजे की धुनों पर थिरकते हैं, जबकि कुछ पात्र रोलर शैली में कला का प्रदर्शन करते हैं। यह पारंपरिक कर्म और रास का मिश्रित रूप पेश किया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण की भक्ति की हुंकार दिखाई जाती है।

ग्रामीण सुशील कहरा ने बताया कि दहीकांदो उत्सव को गांव के लोग धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सामूहिक कुमार बनाते हैं और भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव के रूप में सात दिनों तक नाच-गाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं।

टैग: छत्तीसगढ़ समाचार, लोकल18

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