राजानंदगांव: शहर के बसंतपुर स्थित 100 काले वाले मदर चाइल्ड हॉस्पिटल में डॉक्टरों की भारी कमी के कारण गंभीर अध्ययन का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से गायन विभाग में ईसाइयों की कमी के निर्माण के लिए प्रवेश वाली महिलाओं को अन्य प्राथमिकताओं में शामिल किया जा रहा है। मजबूरन, महिलाओं को निजी तौर पर प्रशिक्षित करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को भारी परेशानी हो रही है।

गायन विभाग में कवियों की भारी कमी
मदरसा शिशु अस्पताल में ईसाइयों की कमी के बारे में अक्सर प्रार्थनाएँ की जाती हैं। अस्पताल के गायनिक विभाग में केवल एक ही विशेषज्ञ डॉक्टर हैं, जिनकी संख्या भारी है और मरीजों की संख्या काफी कम है। इस कारण कई बार निवेशकों को अन्य विभागों में शामिल किया जाता है, जिससे उन पर अतिरिक्त खर्च भी आता है। स्थानीय निवासी आशिष सोरी ने बताया कि अस्पताल में केवल दो डॉक्टर हैं, जिससे गरीबों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द आतंकियों की कमी पूरी करने की मांग की है।

सिविल इंजीनियर का बयान
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. यूके चंद्रवंशी ने बताया कि अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी क्या है, खासकर महिला रोग विशेषज्ञ की अनुपलब्धता के कारण और अधिक जटिल हो जाती है। उन्होंने कहा कि यदि एक और सिंगिंगकॉस्टिशन की शुरुआत की जाती है तो व्यवस्थाएं क्रमिक रूप से चलती रहेंगी।

लाखों की लागत से बना, फिर भी सेवाओं में कमी
बसंतपुर स्थित इस 100 चमकदार वाले मदर चाइल्ड हॉस्पिटल के निर्माण में लाखों करोड़ रुपये की लागत आई, ताकि जिलेवासियों को बेहतर सुविधाएं और शिशु देखभाल की सुविधाएं मिल सकें। लेकिन सिद्धांत की कमी के कारण यह अस्पताल अपनी पूरी क्षमता से व्यवसाय नहीं दे रहा है और व्यक्तिगत निजीकरण की ओर रुख करना पड़ रहा है।

प्रशासन को कई बार दी गई सूचना
मदरसा इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटल में कई बार मदरसे की कमी को लेकर शासन-प्रशासन को आश्वासन दिया जा चुका है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। इलाक़े में रहने वाली महिलाओं की इस कमी के कारण भारी असमानता का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से शीघ्र ही इस समस्या का समाधान करने की अपील की है, ताकि अस्पताल अपना उद्देश्य पूर्ण सेवा प्रदान कर सकें।

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