महसांव गांव का बगला पान सिर्फ रीवा रियासत के महाराजाओं को ही नहीं बल्कि लखनऊ के नवाबों को भी सबसे पहले पसंद आया था। विंध्या आने वाले लगभग सभी बादशाहों को बगला पान अपने स्वाद का दिवाना बना दिया था। हमेशा के लिए शाही भोजन के बाद शाही पान के रूप में रीवा रियासत के राजाओं के दरबार में जादूगरों को जाना जाता था।

रीवा जिले के ग्राम महसांव सहित आसपास के गांव में एक दौर ऐसा था। जब घर-घर में की गई थी पान की खेती. यहां के असंतुष्ट समाज के किसानों का यह पुश्तैनी धंधा हुआ था। जो उन्हें विरासत में मिला था. यहां का बंगला और जैसलमेरी पान विश्वप्रसिद्ध पान हुआ था। जो लोगों की पहली पसंद थी. यहां लोग बड़े शौक से इसे ढूंढते थे. ये पान भारत के कोने-कोने में तो बिकता ही था। इसके अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका समेत कई देशों में भी लोगों के मुंह का स्वाद चखा था। यहां किसानों के पान की खेती से लेकर घर तक का सामान था। इन किसानों का मुख्य डाका था.

नवाबों की पहली पसंद
पान की दुकान वाले प्रिंस बैस्ट के कहने पर कुछ साल पहले रीवा से पान के दुकानदारों की चोरी कई देशों में हुई थी। इससे पान की खेती से जुड़े लोगों को अच्छा दर्जा प्राप्त हुआ था। वह आसानी से अपना घर परिवार चला गए थे। लेकिन गुटखा और पान मसाला के चलन में ये पान कन्ही खो गए। द्वितीयकपरख कम हो गया. इसमें लगातार हो रहे किसानों के पास रोजगार का भी संकट खड़ा हो गया है। जिसकी खेती करने वाले किसान काफी दुखी हैं।

किसानों का घर चलाना हुआ मुश्किल
कुछ किसान पान की खेती को बचाए रखने के लिए इसमें लगातार आ रहे त्रिकोण के भी खेती कर रहे हैं। एक समय था, जब पान की खेती करने वाले किसानों को पान की खेती से काफी फ़ायदा होता था। इसी से वो बच्चों का लालनपालन और पढाई-लिखाई सहित पूरे घर में पैदा हुए थे। लेकिन अब ये हालात हैं कि इन्हें पढ़कर बच्चे किसी तरह से अपने घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहे हैं।

टैग: हिंदी समाचार, नवीनतम हिंदी समाचार, स्थानीय18, मध्य प्रदेश समाचार, रीवा समाचार

Source link