रायपुर : सनातन धर्म में बेलपत्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह भगवान भोलेनाथ को संपूर्ण भक्ति भाव से स्थापित करता है। असली प्रकृति से हमें बहुत सी ऐसी चीजें मिलीं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से भी तरह-तरह का इलाज संभव है। सौतेले से हमारी प्रकृति के द्वारा अनेक सारे औषधीय औषध हमें शोभा के रूप में मिलते हैं। दोस्ती में से एक है बेलपत्र का जिसमें सभी भाग बेहद हैं। आइए आज हम आपको बेल पत्र, बेल पेड़ के पेड़ और बेल फल के औषधीय मिश्रण के बारे में बताते हैं।

राजधानी रायपुर में स्थित हर्बल आयुर्वेदिक एलियंस के प्रोफेसर डॉ. सिंह ने Local18 के माध्यम से बताया कि बेल के उपचार में बहुत सारे राजेश औषधीय गुण पाए जाते हैं. साथ ही बहुत सारे रूमेटिक कंपनी ग्राउंड पाए जाते हैं। बेल के फूल और पादरी से रायपुर स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज में चिकित्सा पद्धति से इलाज किया जाता है।

विशेष रूप से मधुमेह रोगियों में बेल इंजीनियर्स का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा छात्र और मूल का दशमलव तरीके से सोथ नैक बनाया जाता है। इसके अलावा उदर रोग यानि पेट से जुड़ी समस्या, पेट में मरोड़ आन पर इसके स्वास्थ्य का प्रयोग कर सकते हैं।

आगे कहा कि कच्चे बेल के गुब्बारों का डिज़ेंट्री यी पेचिश, दस्त में प्रयोग किया जाता है। लेकिन पका हुआ बेल का पैन्क जो गर्मी के महीनों में बनाया जाता है वह बेहद होता है। गणना किए गए बिल्वपत्र में शामिल माल को साफ करने की क्षमता है। रॉ फल माल को तो डायरेक्ट किया जाता है लेकिन पका फल माल को बाहर कर दिया जाता है। मधुमेह में पत्र केश का ही प्रयोग किया जाता है। जैसे गणेशजी के ऊपर बिल्वपत्र चढ़ाते हैं उनके कारण यही होता है कि एक हाथ में मोदक होता है जो कपाट जम्बू होता है इस तरह यह प्रमेय दोष होता है। इसी तरह बिल्वपत्र का प्रयोग होता है. बेल फॉलीज़ का केकेल संबंध का सीधा प्रयोग किया जाता है।

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अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

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