राजानंदगांव : राजनांदगांव जिले में धान की फसल में बलियान पर्यटन लगे हुए हैं, लेकिन इस समय वर्षा, गर्मी और गर्मी के कारण धान की फसल महू, तना खेत, पत्तीमोदक और अन्य सब्जियों का प्रकोप बढ़ गया है। इस स्थिति से किसानों को चिंता हो रही है क्योंकि इन पैकेटों के कारण फसल का नुकसान होता है और उत्पादन में भी कमी आ सकती है। धान की बालियाँ आशियाने के बाद दानों को मसाले में करीब एक-डेढ़ महीने का समय लगता है, और इस दौरान कच्चे माल से उपज को बचाने के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है।

कृषि विभाग ने इस स्थिति पर ध्यान देते हुए किसानों को रोजगार से मुक्ति के लिए विभिन्न उपाय निषेध की सलाह दी है। डॉक्टर बीरेंद्र अनंत, असिस्टेंट लीडर एग्रीकल्चर, राजनांदगांव ने बताया कि जिले में धान की फसल रकबा 1,74,147 हेक्टेयर अलग-अलग है, और वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए किसानों को सलाह और रोकथाम के लिए सुझाव दिए गए हैं।

प्रशिक्षण प्रशिक्षण और से मुक्ति के उपाय
शीथ ब्लाइट: यह एक चमत्कारी जनित रोग है, जो धान की फसल में पानी के अधिक समय तक जमा रहता है और पौधे युक्त मौसम के कारण नष्ट हो जाता है। इससे बचने के लिए हेक्साकोनाजोल 5% ईसी की सलाह दी गई है।

तना छेडेक किट: इस कीट का सबसे खराब तरीके से नुकसान होता है। इससे बचने के लिए कर्टाप हाइड्रोक्लोराइड 4% जी का 2.0-2.5 स्ट्रेच प्रति प्लॉट बनाना चाहिए।

फूलगोभी कीट: इसे चिट्टी कीट भी कहते हैं, यह कीट किरायेदार के हरित पदार्थ को खा जाता है। इससे संबंधित प्राप्त करने के लिए कर्टाप हाइड्रोक्लोराइड 4% जी का 2.0-2.5 स्ट्रेच प्रति प्लॉट की सलाह दी गई है।

भूरा महो: यह कीट धान की फसल के तने से रस किसान को नुकसान पहुंचाता है। इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोरोपिड 17.8% एसएल का 125 एजेंट प्रति हेक्टेयर की दर से सेवन करने की सलाह दी गई है।

किसानों के लिए कृषि विभाग की सलाह
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे नियमित रूप से अपनी बीमारी का निरीक्षण करें और इन प्रशिक्षण और नियंत्रण के लिए दवाओं की सलाह लें। इससे न केवल फसल खोली जा सकती है बल्कि अच्छा उत्पादन भी सुनिश्चित किया जा सकता है।

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