जांजगीर चांपा:- जांजगीर चांपा जिले के बम्हनीडीह ब्लॉक के लखुर्री गांव के किसान रामप्रकाश केशरवानी ने इन दिनों खेती के लिए विशेष पहचान बनाई है। बाकी अन्य किसानों से हटकर धान की अन्य किस्मों की फसल लगाई गई है, रामप्रकाश ने महेश्वर फूल प्रजातियों के धान की खेती की है। यह महेश्वर फूल चावल की खासियत है कि इसे चीनी के फलों के लिए रामबाण माना जा रहा है। किसान रामप्रकाश ने बताया कि इस धान को ओडिशा के कालाहांडी से लाया गया था, इस धान की नई रायपुर में स्थित लैब से इसकी जांच के लिए भेजा गया है।
लखौरी गांव के किसान रामप्रकाश केशरवानी ने बताया कि ओडिशा के कालाहांडी के दक्षिणी इलाके से इस धान को लाकर लगाया गया था, वहां के लोग इस रामेश्वर फूल धान की व्यापक खेती करते हैं, जो इसकी सुगंध की विशेषता से बढ़ती चीनी संतुलन में भी फल साबित होता है।
शुगर का स्वास्थ्य करता है मेंटेन
इसके प्रमाण के लिए वह आसपास के शुगर के उपयोगिता से पुष्टि कराती है तो शरीर में शुगर का स्तर बनाए रखने का प्रमाण मिलता है। इसी किसान द्वारा पिछले चार सालों से इसकी खेती कर रहे हैं और इस धान के बीज को बड़ा कर रहे हैं, जिससे वर्तमान समय में 40 कट्टी से भी अधिक महेश्वर फूल धान के बीज हैं।
बताया गया है कि इस महेश्वर चावल में शर्करा से भी कम चीनी है, इसलिए शर्करा पेसेंट कम होगा करके शर्करा आटे से बने रोटी का स्वाद है वैसे ही इस चावल में शर्करा से भी कम चीनी होगी। खासकर छत्तीसगढ़ के व्यक्ति चावल का रोटी खाए बिना नहीं रह सकते, इसलिए आटा पीसकर चावल आये की रोटी भी खा सकते हैं।
चीनी पेसेंट के लिए है फायदा
कृषि अनुसंधान केंद्र जांजगीर कृषि वैज्ञानिक आर के दीक्षित ने शुगर मुक्त चावल के विषय में बताया है कि चावल का ग्लिसेमिक अनुपात 55 या उससे कम है, इसलिए शुगर की मात्रा कम होती है, जिसका प्रयोगशाला से परीक्षण के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा, अभी मधुराज 55 को चीनी कम होने के नाम से जाना जाता है. अगर रामप्रकाश केशरवानी के धान की लैब टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो जिले के लिए गौरव की बात होगी और शुगर पेसेंट के लिए भी लाभान्वित होगा।
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पहले प्रकाशित : 11 जुलाई, 2024, 14:08 IST