ये कैसी आज़ादी! दार-दर भट्टर रह रहा है स्वतंत्रता सेनानियों का परिवार, लेकिन क्यों?

सुजीत शाह, मनेन्द्रगढ़। एक तरफ जहां देश आजादी का जश्न मनाने की तैयारी चल रही है, वहीं दूसरी तरफ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का एक परिवार जायज हक के लिए आमरण पद के लिए मजबूर है। यह परिवार अपनी मांग के लिए दर-दर भटक रहा है। ऐसा नहीं है कि शासन-प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन उनका कोई अध्ययन नहीं हो रहा है। इन सब बातों से मजबूरन सब्जी परिवार शहर के जयस्तंभ के पास खाना जमा किया गया है। बता दें, मनेन्द्रगढ़ के रहने वाले स्व. मुजीलाल जैन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। शासन ने वर्ष 1974-75 में उन्हें प्रतिष्ठित और एक भूमि दी। लेकिन, आज तक ये ज़मीन उनकी फ़ाउल नहीं मिल पाई है।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. माजीलाल जैन की विधवा बहू दया जैन और विशाल जैन ने 12 अगस्त को डी.सी. की उपाधि प्राप्त की। राहुल वेंकट को निर्दिष्ट कर कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने पादरी से अपील की कि उनकी जमीन पर उनका हक है। इन लोगों ने इससे पहले 29 जुलाई को भी मनेंद्रगढ़ के जिप को मंजूरी दी थी। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को सचिवालय में कहा गया था कि मेरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. माजीलाल जैन को शासन वर्ष 1974-75 में ग्राम पंचायत में 2.023 हेक्टेयर भूमि दी गई थी। इस गांव पर दबंगों ने कब्ज़ा कर लिया है. जब भी मेरे बच्चे वहां जाते हैं तो वो लोग मेरे बच्चों को जान से मारने की धमकी देने वाले वहां से भाग जाते हैं। मर्सी जैन ने 6 अगस्त को पासपोर्ट कार्यालय में आयोजित जनदर्शन कार्यक्रम में भी आवेदन दिया था। लेकिन, कोई कार्यवाही नहीं हुई।

कोरोना काल में चल बसे पति
दया ने फिर से नामांकित को भी नामांकित किया। इस स्पष्टीकरण में उन्होंने कहा कि मेरी प्रियतमा मौजीलाल जैन का वर्ष 1985 में देहवासन में हो गया था। बाद में उसकी ज़मीन पर कब्ज़ा हो गया और वह हमें नहीं मिल पा रहा है। मेरे पति कैलाश चन्द्र जैन का कोरोना काल के दौरान निधन हो गया। उनके निधन के बाद मेरे दो बेटों के सामने गुजरात बसर की समस्या पैदा हो गई। स्कॉलर है कि, दया जैन के दो बेटे हैं। इनका बड़ा बेटा अमित जैन मानसिक रूप से बीमार है।

कोई सुनने वाला नहीं
रजिस्ट्रार को दिए गए प्रत्यक्षीकरण में कहा गया था कि मेरे स्व.ससुर को शासन करने के लिए दी गई भूमि का कब्जा दिलवाने की कृपा करें। ऐसा नहीं होने की स्थिति में मैं अपने बच्चों के साथ 14 अगस्त, रविवार को सुबह 10 बजे से आमरण अवकाश में शामिल हुआ। इसका संपूर्ण उत्तरदायित्व शासन प्रशासन की होगी। 50 प्राचीन से सम्मान में मिली जमीन पर मालिकाना हक के लिए संघर्ष और आवेदन अनुरोध के बाद अब जैन परिवार के सब्र का बंधन टूट गया है।

टैग: छत्तीसगढ़ समाचार, रायपुर समाचार

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