रामकुमार नायक/रायपुर: छत्तीसगढ़ प्रदेश हमेशा से अपने ऐतिहासिक धरोहरों को लेकर चर्चा में रहता है। यहां हर क्षेत्र के इतिहास से जुड़ी जानकारी, खड़िया या स्थान के बारे में जान सकते हैं। इन दिनों छत्तीसगढ़ में गणेश चतुर्थी की तैयारी जोरों पर है। इसी कड़ी में हम आपको प्रथम पूज्य श्री गणपति जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो छत्तीसगढ़ में स्थित है। वैसे तो यहां विघ्नहर्ता भगवान गणेश के मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन गणेशोत्सव के अवसर पर अलग ही सन्नाटा रहता है। हम कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के सुदूरवर्ती वन्य जीव स्थित एकाश्म बात गणेश की कहानी बड़ी ही रोचक हैं।
छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग के पुरात्त्ववेत्ता प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले के देवनगरी में स्थित भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर 11वीं-12वीं शताब्दी में हिंदक नागवंशी राजा द्वारा बनवाया गया था। यहां विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई है और यह विश्व की पहली भगवान गणेश की जुड़वां प्रतिमा भी है। इस गणेश प्रतिमा की खास बात यह है कि यह हजारों साल पुरानी है और एक ही पत्थर से बनी विश्व की पहली जुड़वां गणेश की प्रतिमा है। देखने में सिर्फ देश से नहीं बल्कि कलाकारों से भी बड़ी संख्या में यहां की यात्राएं शामिल हैं।
भारत में दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है
दांते शहर से करीब 31 किलोमीटर दूर और राजधानी रायपुर से करीब 390 किलोमीटर की दूरी पर देवनगरी बारसूर स्थित है। यहां रियासत काल में 147 तालाब और 147 मंदिर हुए थे, जो आपके अपने में ऐतिहासिक हैं, इन तीर्थों में जो खास मंदिर हैं वो आज भी मौजूद हैं, जिन्हें पुरातत्व विभाग ने संरक्षण और संरक्षण दिया है, ये हैं एक भगवान गणेश का मंदिर है. विशाल एकाश्म गणेश प्रतिमाओं की प्रतिकृति आप राजधानी रायपुर के महंत घासीदास संग्रहालय में दर्शन कर सकते हैं। गणपति जी धोती और यज्ञोपवीत धारण मुद्रा में चित्रित हैं। यह 2.25 मीटर बड़ी गणेश प्रतिमा की प्रतिकृति है जो भारत में दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है। चतुर्भुजी गणेश के बाएं हाथों में क्रमशः मोदक और दंत है। ऊपरी दाहिना हाथ खंडित है, जबकि दाहिना हाथ खंडित है।
पहले प्रकाशित : 2 सितंबर, 2024, 16:25 IST