भोपाल। भोपाल के लखेरापुरा में करीब 150 साल पुराना यमराज मंदिर है। पुरानी रोज़ पूजा- रिज़र्व भी होती है। इनमें से अंतिम घटक दीये जलाते हैं। इस पूजा से व्यक्ति को मृत्यु का भय नहीं रहता है। यम देव की प्रतिमा की स्थापना से भी संभावित लोगों के मन से मृत्यु का भय दूर करने का उद्देश्य बताया जा सका।

अयोध्यावासी वैश्य नगर सभा के अध्यक्ष अशोक गुप्ता अंबर ने स्थानीय 18 से कहा कि वैश्य समाज का लखेरापुरा में राम जानकी मंदिर है। ढाँचा साल पहले विद्या में समाज सेविका बाई गुप्ता द्वारा यमराज की दो फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई थी। इसके साथ ही उन्होंने पास में ही भगवान शिव की ऐसी प्रतिमा की भी स्थापना की थी, जिसमें उनके चरण में यमराज से सुरक्षा सहायक बैठे ऋषि मार्कंडेय दिख रहे हैं।

भगवान शिव ने यमराज से कहा
पौराणिक कथा के अनुसार अशोक गुप्ता अंबर ने बताया कि ऋषि मार्कंडेय ने जब 16 वर्ष की उम्र में यमराज के आगमन के लिए उनकी प्राण हरण की थी। क्योंकि यमदूत मार्कंडेय ऋषि के तेज के कारण वे निकट नहीं जा पा रहे थे। ऋषि मार्कंडेय जानते थे. उनकी उम्र अब ख़त्म हो चुकी है.

अंतिम समय ली भोले की शरण में
अंतिम समय यह जानकर कि वह भगवान शंकर के दरबार में झुक गये। यमराज ने जैसे ही ऋषि मार्कंडेय के प्राण हरने के बाद उनकी ओर यमपाश उठाया, तुरंत लिंग में से भगवान शंकर स्वयं प्रकट हो गए। उन्हें रोक दिया गया।मंदिर में यमदेव की यम द्वितीया पर विशेष पूजा-आराधना भी की जाती है। यम द्वितीया इस वर्ष 3 नवंबर को मनाई गई थी।

राम जानकी मंदिर में स्थापित है प्रतिमा
भोपाल के पुराने लखेरापुरा स्थित राम जानकी मंदिर में यमराज की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर में लगभग 14वीं और 15वीं शताब्दी के भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित है। यहां भगवान श्रीराम प्रौढ़ अवस्था में मिलेंगे।

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