खंडवा. खंडवा शहर में एक शर्मनाक घटना घटी, जब एक महिला टीचर स्कूटी चल रही थी और उसका अचानक ही चूर-चूर हो गया, जिससे वह सड़क पर गिर पड़ी। इस दौरान वहां मौजूद तमाशबीन लोग अपने वीडियो और फोटो शेयर कर रहे थे, लेकिन किसी ने भी उन्हें हॉस्पिटल की कोशिश नहीं की. अंत में एक बुद्धिमान नागरिक, रित्र कपूर ने उस महिला को अस्पताल में भर्ती कराया और उसका इलाज शुरू किया।
घटना के बाद जब कुछ लोगों से बात की गई तो उनका कहना था कि वे महिला को अस्पताल ले गए, लेकिन पुलिस केश बन गई और पूछताछ की गई तो कोई मदद नहीं मिली। उनका मानना था कि पुलिस उन्हें परेशान कर सकती है। इस डर के कारण लोग किसी की मदद करने से बचते हैं। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमारी टीम ने एसपी मनोज कुमार से मुलाकात की।
सरकार द्वारा उन्हें ₹5000 तक का पुरस्कार दिया गया
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने नए कानून के तहत यह सुनिश्चित किया है कि अगर कोई व्यक्ति घायल हो गया है और उसकी जान पहचान है, तो उस व्यक्ति से पूछताछ नहीं की जाएगी और न ही उससे संपर्क किया जाएगा। बल्कि सरकार द्वारा उन्हें ₹5000 तक का पुरस्कार भी मिल सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में डरने की कोई जरूरत नहीं है और जितनी जल्दी घायल को अस्पताल छोड़ दिया जाएगा, उतने ही अधिक उसके भागने की संभावना होगी।
एसपी मनोज कुमार राय ने आगे अपील की कि जब भी किसी के साथ दुर्घटना हो, तो तुरंत घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाएं, क्योंकि पुलिस द्वारा पूरी सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, न्याय के. एस. राधाकृष्णन समिति के प्रस्ताव के अनुसार, घायल को अस्पताल के डॉक्टर वाले व्यक्ति से कोई प्रश्न नहीं पूछना होगा और उसे अस्पताल या पुलिस को भर्ती की आवश्यकता नहीं होगी।
संपादक- अनुज सिंह
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पहले प्रकाशित : 20 नवंबर, 2024, 17:07 IST