महामारी से तड़प रहा था पूरा गांव, फिर बंद कर दी होली के पहले की ये प्रथा, अब बीता रहे खुशहाल जिंदगी


रामकुमार नायक, रायपुर – पूरे देश में रंगों के त्यौहार होली को लेकर जबरदस्त धूम है. आज होलिका दहन के दिन इस बार भद्रा का प्रभाव होने से रात 11.13 बजे तक लोगों को शुभ मुहूर्त के लिए इंतजार करना पड़ेगा. इसके बाद लोग होलिका दहन कर सकेंगे. होली के पर्व का कई लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. इस दिन जमकर रंगों से होली खेली जाती है. लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसे गांव भी हैं, जहां होली नहीं मनाई जाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि आज के दौर में भी यहां अनोखी परंपरा विद्यमान है.

अनोखी है गांव की परंपरा
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 47 किमी दूर घोडारी और मुढेना गांव है. इन दोनों गांव में मान्यता और बरसों पुराने रिवाज के कारण होलिका दहन नहीं किया जाता है. गांव में रंग-गुलाल और होली का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है, पर होलिका दहन नहीं किया जाता. महासमुंद जिले के ग्राम घोडारी की आबादी लगभग 4500 है और ग्राम मुढेना की आबादी लगभग 2500 है. ग्रामीण सुरेश शर्मा और पूर्व सरपंच रामाश्रय यादव का कहना है कि उनके दादा-परदादा के जमाने से लगभग 200 साल से गांव में होलिका नहीं जलाई जाती है.

ये भी पढ़ें:- खाटूश्याम दरबार में उड़ेगा छत्तीसगढ़ का ये गुलाल, महिलाओं ने भेजा पार्सल, जानें कैसे हुआ तैयार

नहीं होता होलिका दहन
महासमुंद जिले के इन दोनों गांव में रंगों के त्यौहार यानी होली में गुलाल से सूखी और गीली होली खेली जाती है. इसके अलावा नगाड़े बजाकर सब एक साथ लोग झूमते भी है. लेकिन होलिका दहन नहीं किया जाता. लोगों का मानना है कि कई साल पहले यहां महामारी फैली थी. जिसके बाद उस वक्त के ग्रामीणों ने होलिका जलाना बंद करने का निर्णय लिया. जिसके बाद यहां कभी महामारी नहीं फैली. इस परंपरा को लेकर आज भी ग्रामीण चल रहे हैं. गांव की इस परंपरा की चर्चा हर साल होली में जरूर होती है.

Tags: Chhattisagrh news, Holi, Local18, Raipur news



Source link