भोजशाला एएसआई सर्वे: सर्वे की रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश, अब तक क्या-क्या मिला?

मिथिलेश गुप्ता, इंदौर। इंदौर से बड़ी खबर है. एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण-एएसआई) ने धार स्थित भोजशाला की रिपोर्ट इंदौर उच्च न्यायालय में पेश की है। हाँ, आशीष गोयल ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि एएसआई ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश की है। हिंदू न्याय के लिए इस कानूनी लड़ाई को लड़ रहा है। इस मामले की सुनवाई अब 22 जुलाई को होगी। उन्होंने कहा कि यह सर्वे 98 दिन बिना छुट्टी के चला। यह एसबीआई की रिपोर्ट 2000 से अधिक पेज की है। एएसआई की टीम ने भोजशाला और उसके आसपास के 50 मीटर के दायरे में यह सर्वेक्षण किया है। टीम के साथ मजदूरों और हिंदू-मुस्लिम पक्षकारों को अंदर जाने की इजाजत थी। टीम ने सर्वे के दौरान यहां फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी कराई है।

गौरलतब है कि एस्सी का सर्वेक्षण 27 जून को पूरा हुआ था। इस साल 11 मार्च को इंदौर उच्च न्यायालय ने कहा था कि ज्ञानवापी के बाद अब मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला का एएसआई सर्वेक्षण होगा। इस मामले में सामाजिक संगठन ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की याचिका दायर की गई थी। हाई कोर्ट ने इसके लिए एएसआई को 5 संदिग्ध कमिटी गठन करने के आदेश दिए थे। इसके बाद भोजशाला में एएसआई का सर्वेक्षण 22 मार्च को शुरू हुआ। इसके बाद एएसआई ने भोजशाला के सर्वे के लिए इंदौर उच्चतम से 8 सप्ताह का समय मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को इस याचिका को खारिज कर दिया है। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने भी भोजशाला का सर्वेक्षण रोकने के लिए याचिका लगाई थी। उनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

सर्वे में मिले इतने भयानक
इस सर्वेक्षण के बीच हिंदू पक्षकार आशीष गोयल ने दावा किया है कि यहां से अभी तक जो निर्मित पत्थर, मूर्तियां, सनातन धर्म से जुड़े ऐतिहासिक मिले हैं, वो परमार कालीन हैं। चूंकि, राजा भोज परमार वंश के थे, उन्होंने ही भोजशाला का निर्माण किया था, इसलिए यहां परमार काल से जुड़े स्थल मिल रहे हैं। बता दें, इस भोजशाला में अभी तक 1600 से ज्यादा उपजाऊ मिट्टी मिली है। इनमें भगवान श्री कृष्ण-श्री विष्णु की परिवार सहित मूर्तियां, उर्दू-फारसी में लिखी शिला, गौशाला के नीचे से बनाई गई, भाले, दीवार पर बाहर की तरफ बनाया गया गौमुख, शिखर का आधार, शंख चक्र, कमलपुष्प, स्तंभ, स्तंभों के आधार, स्तंभ के आधार, मां वाग्देवी की प्रतिमा, महिषासुरमर्दिनी प्रतिमा के खड़े टुकड़े, तीर के छोटे-छोटे टुकड़े, धातु के सिक्के, गणेश प्रतिमा, भैरव नाथ, नीलम का पत्थर, भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं के खड़े टुकड़े, अनेक तरह के पत्थर शामिल हैं।

आखिर क्या है इस भोजशाला का विवाद
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने करीब 1,000 साल पुराने भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच या सर्वेक्षण या खुदाई या ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (जीपीआर) सर्वेक्षण समयबद्ध तरीके से करने की मांग की थी। बता दें, हिंदू संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि भोजशाला में मां सरस्वती का मंदिर है। अपने इस दावे को पुख्ता करने के लिए हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के सामने परिसर की रंगीन तस्वीरें भी पेश की थीं। भोजपुर केंद्र सरकार के अधीन एएसआई का संरक्षित स्मारक है। एएसआई के सात अप्रैल 2003 के आदेश के अनुसार चली आ रही व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को हर शुक्रवार को इस स्थान पर नमाज अदा करने की अनुमति दी गई है। मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को अद्भुत मौला की मस्जिद बताता है।

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