खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन में स्थित शेष माता मंदिर अपनी अनोखी मान्यता के लिए प्रसिद्ध है। यह भारत का दूसरा ऐसा मंदिर है, जहां देव शक्तियों का वास माना जाता है। यहां देवी मां को फल-फूल नहीं, बल्कि मसाले से बना पान का बीड़ा और जूड़े की धानी का भोग लगाया जाता है। इस विशेष पान का प्रसाद सिर्फ व्रतधारी व्यापारियों को ही दिया जाता है, जिसे खाने के बाद न तो भूख लगती है और न ही पेट में गर्मी लगती है। नवरात्रि के नौ दिन में 500-600 पान के बीड़े बांटे जाते हैं.

292 साल पुरानी परंपरा
नवरात्रि के दौरान हर दिन दो की आरती में माता को विशेष भोग लगाया जाता है। यह परंपरा लगभग 292 वर्षों से चली आ रही है। मंदिर के पुजारी सुशील जोशी ने लोकल 18 को बताया कि यह पान का बीड़ा विशेष रूप से घर पर ही तैयार किया जाता है, जिसमें जायफल, लौंग, इलायची, जायपत्री, जेष्ठीमा, दालचीनी, पिपरमिंट और मिश्री जैसी गुड़-बूटियां मिलाई जाती हैं। यह प्रसाद व्रत स्ट्राट के लिए बेहद होता है, जो उन्हें पूरे दिन ऊर्जा प्रदान करता है।

फ़्रॉस्ट स्ट्रैटेजमेंट को ऊर्जा कहा जाता है
आयुर्वेद के विशेषज्ञ का भी मानना ​​है कि पान का सेवन पाचन क्रियाओं के लिए प्राचीन काल से किया जा रहा है। बाकी माता मंदिर में जाने वाले इस खास पान के बीड़े का प्रसाद व्रतधारी के लिए विशेष है। इसे खाने से भूख नहीं लगती, पेट में गर्मी नहीं लगती और व्रत के दौरान कमजोरी भी महसूस नहीं होती।

भारत में केवल दो मंदिर
पुजारी सुशील जोशी ने बताया कि पूरे भारत में इस प्रकार के दो ही मंदिर हैं, जहां देव शक्तियों का वास है और दोनों ही निमाड़ क्षेत्र में स्थित हैं। एक खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में और दूसरा खरगोन के बाकी माता मंदिर में है। यहां के झीरे के बारे में यह बात प्रमाणित है कि इसमें स्नान करने से मानसिक शांति मिलती है और शरीर के रोग दूर होते हैं।

1732 में नौ देव शक्तियां विद्यमान हैं
शिष्य हैं कि सन 1732 से इस मंदिर में नौ देव शक्तियां स्थापत्य में स्थापित हैं। इनमें ब्रह्म की शक्ति ब्राह्मी, महेश की शक्ति माहेश्वरी, वराह की शक्ति वाराही, इंद्र की शक्ति इंद्राणी जैसी शक्तियां शामिल हैं। इसके साथ ही माता चामुंडा, सरस्वती और महालक्ष्मी भी यहां स्थापित हैं। इसके अलावा यहां आठ भैरव और तीन रुद्र अवतार भी हैं। मंदिर की खास बात ये है कि एक ही छत के नीचे (पीपल के वृक्ष के नीचे) सभी देवी-देवता मंदिर हैं और ये सभी देवियां पास के शिखर से प्रकट हुए हैं।

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