बिलासपुर: आजादी के 77 साल बाद भी बिलासपुर जिले के बिल्हा विधानसभा क्षेत्र के ददाहा गांव के लोग सौंदर्य प्रसाधन के अभाव में जीवनयापन करने को मजबूर हैं। 40-45 साल पहले बनी बनी सड़कें और नालियां अब इतनी जर्जर हो चुकी हैं कि गांव का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। नगर पंचायत बोदरी के वार्ड क्रमांक 10 में शामिल होने के बाद भी यहां की तस्वीरें जस की तस बनी हुई हैं। बिलासपुर शहर से दधा तक करीब 4 किलोमीटर लंबी सड़क की हालत बेहद खराब है, जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासन की अनदेखी से ग्रामीण निराश्रित, आवाज़ें अनसुनी
रिवोल्यूशन ने बताया कि वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कर्मचारियों और उपभोक्ता कार्यालयों के चक्कर में पड़ गए हैं। सामूहिक रूप से अपनी सहभागिता बढ़ाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। नवीनीकृत ने विधानसभा का बहिष्कार तक कर दिया, लेकिन उन्हें केवल स्वतंत्रता ही मिली और समस्याओं का समाधान आज तक अधूरा है।

एम्बुलेंस की पहुँच में बाधा, जान गाँव की मजबूरी
वॉर्ड वॉर्ड कमलेश कुमार नोनिया के मुताबिक, गांव की सड़कों की स्थिति इतनी खराब है कि एंबुलेंस समय पर पहुंच नहीं पाती है। इसी समस्या के कारण उनके परिवार के एक सदस्य की जान तक चली गई। उन्होंने कई बार सड़कों के सुधार की मांग की, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

शिक्षा पर बुरा असर पड़ता है
गांव की मितानिन कमला नोनिया का कहना है कि खराब सड़कों और परिवहन की कमी के कारण बच्चों को स्कूल और कॉलेज जाने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बैल के मौसम में सप्ताहांत पर वन्यजीवों का जमावड़ा हो जाता है, जिससे स्थिति और भी खराब हो जाती है और बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है।

जूता गांव बन जाता है कैदखाना
ददाहा गांव में बारिश के कारण समुद्र तट पर चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। साइकिल चालकों से लेकर वाहन चलाने तक की समस्या है, जिससे स्कूटर का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।

समस्या का समाधान अब भी अधूरा, अधूरा है
ग्रामीण अमित लोनिया ने कहा कि कई बार अधिकारियों को समाधान की छूट दी जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं दिखता। प्रशासन की इस अनदेखी ने पूर्वोत्तर को गहरे आधार में डाल दिया है और समुद्र तट पर उनकी सबसे ऊंची बढ़त बनी हुई है।

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