बाला घाट. वैसे तो भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। लेकिन उनके चमत्कार के किस्से ब्रह्मांड में कई स्थानों पर सुनाए जाते हैं। ऐसा ही एक किस्सा बालाघाट जिले के चंदन नदी के किनारे बसे एक जरामोहगांव गांव में देखने को मिला।

जब लगभग 500 वर्ष पहले भंग साम्राज्य पंचेश्वर को एक स्वप्न आया था। इसमें भगवान कृष्ण ने कहा था कि मेरा मंदिर टूट जाएगा। ऐसे में बासमती ने निर्धन होते हुए भी मंदिर का निर्माण कराया था। अब भी मंदिर का निर्माण वाले बैंग महाजन का वंश मौजूद है। जानिए मंदिर की पूरी कहानी…

500 साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण
मंदिर के पुजारी जवाहरलाल पंचेश्वर के अनुयायी हैं कि उनके पूर्वज भंजन को सपने में कृष्ण भगवान आए थे। तब उन्हें मंदिर बनाने के लिए कहा गया था. वहीं, भंगार कंपनी ने कहा कि मैं गरीब हूं मंदिर बनाऊंगा, धन कहा से लाऊंगा। तब भगवान ने उन्हें चमकाया कि एक आरो (दीवार में लगा अला) में हाथ डालेंगे तब उन्हें धन मिलेगा। ऐसा कहा जाता है कि इसी तरह से उसने अपने हाथों से एक मंदिर बनाया था।

पत्थर, चूल्हे और गुड़ से बना है मंदिर
स्थानीय मान्यता है कि इस मंदिर के निर्माण में पत्थर, चीनी और गुड़ का प्रयोग किया गया है। ऐसे में इस मंदिर की इमारत काफी मजबूत मानी जाती है। लेकिन समय के साथ इस मंदिर की सुंदरता और जीर्णोद्धार किया गया है।

मंदिर में है एक चमत्कारी कुआं
मंदिर में एक कुआँ है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर की ओर से स्नान करने पर कुआं खारा पानी मिलता है। वहीं, मंदिर की ओर मुंह करने पर मीठा पानी भी मिलता है। अब माइक्रोसॉफ्ट का खारा पानी देने वाला हिस्सा बंद कर दिया गया है।

कुछ साल पहले बांसुरी की आवाज
मंदिर के पुजारी जवाहरलाल पंचेश्वर के अनुयायी हैं कि उनके पुत्रों ने कुछ वर्ष पहले मंदिर से बांसुरी की आवाज सुनी थी। कहा जाता है कि मंदिर के अलावा कई बार मधुर आवाज भी सुनाई देती है।

मन पूरा होने पर भक्त ने सिल्वर की झलक देखी
हमें एक भक्त मिले में उन्होंने हमें बताया कि उनका मंदिर बहुत ख़राब था। कई जगह इलाज पर भी उन्हें आराम नहीं मिला। लेकिन जब उन्होंने मंदिर में मंहत की मनाही की तो ठीक होने पर वह चांदी की चेन चढ़ाएंगे। अब ठीक है उनका होना सिल्वर की चेन पर आधारित है।

संकन्दों प्राचीन से लग रहा जरामोह गाँव में मेला
मेला समिति के उपाध्यक्ष शारदा भैया डहरवाल ने कहा स्थानीय 18 बताया गया कि चंदन नदी के किनारे बसे गांव साकंडो में सालों पहले कार्तिक पूर्णिमा के मकबरे पर 5 दिव्य मेला का आयोजन हो रहा है।

संपादन- आनंद पांडे

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