दमोह: मध्य प्रदेश का तटीय क्षेत्र समुद्र तट से समृद्ध और विकसित है। इन दिनों पूरे देश में गणेश उत्सव की धूम है। ऐसे में दमोह के पथरिया जिले के अंतर्गत आने वाले झागर गांव में स्थित गणेश मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ है। यहां गजानन की करीब 5 से 6 फुट ऊंची मूर्ति है, जो इस क्षेत्र की इकलौती मूर्ति नृत्यकला में मौजूद है। यह प्रतिमा 8वीं से 9वीं शताब्दी की बताई गई है।
दूर-दूर से आते हैं भक्त
पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार, गणेश प्रतिमा परम्परागत पुरानी है। इसकी भव्यता का बखान करना संभव नहीं है। कहते हैं कि गणेश मंदिर में हर मन भरा होता है, इसलिए ग्राम से बहुत दूर से खोए हुए हैं। भगवान गणेश के दर्शन करते हैं। वर्तमान समय में इस प्राचीन मूर्ति को अपनी आराध्य विलासिता पूजा करते हैं। यदि निबंध महत्वपूर्ण संदर्भ में बात की जाए तो सबसे पहले रानी दमयंती जिला संग्रहालय का नाम आता है।
अति प्राचीन है ये मूर्ति
पुरातत्व पुरालेख अधिकारी डॉ. सुरसुरा ने लोकल 18 को बताया कि झागर ग्राम में गणेश प्रतिमा का बखान करना मुश्किल है। यह प्रतिमा 8वीं से 9वीं शताब्दी की बताई गई है। इसका फुटपाथ करीब 5 से 6 फीट ऊंचा है। सिद्धांत यह है कि इस प्रतिमा के दर्शन से शिष्य का कल्याण होता है। ये है अरुणाचल प्रदेश की इकलौती ऐसी मूर्ति, जो इतनी विशाल है पत्थर की. मध्य प्रदेश में बहुत कम ऐसे क्षेत्र होंगे, जहां इतनी विशाल मूर्ति नृत्यकला राज्य भर में होगी।
पहले प्रकाशित : 10 सितंबर, 2024, 16:56 IST