बच्चे की याद में कब्र तक खानदानी चली आती है हथिनी, चिंघाड़ सुन भागते है लोग

श्रवण कुमार महंत

अंबिकापुर. माँ खुद से सबसे ज्यादा अपने बच्चे से प्यार करती है। अगर इंसान हो या बेजुबान, मां तो आखिरी मां ही होती है। ऐसी ही एक दिल को छू लेने वाली कहानी छत्तीसगढ़ से आई है। यहां बच्चे की जान जाने के बाद भी एक हथिनी उसे भूल नहीं पाई है. बच्चे की मौत के कई साल बाद भी हथिनी को उसकी कब्र तक खींचते हुए ले जाया गया। फिर हथिनी अपने बच्चे की कब्र के पास जोर जोर से चिल्लाती है। चिंघाड़ने की आवाज सुनाई दी कि गांव के लोग अपने घर को छोड़कर भाग जाते हैं। ये कहानी है सरगुजा जिला मुख्यालय के अंबिकापुर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर बसा गांव घांघरी के मोहरा मोआसादंड की। 12 साल पहले आसदंड में रहने वाले ग्रामीण सार्वभौम की जिंदगी बिता रहे थे।

जंगल के किनारे वाले गाँव के बावजूद लोगों को हाथियों का डर नहीं था। हाथियों का दल गाँव में स्पष्ट रूप से देखा गया था, लेकिन कुछ नुकसान नहीं पहुँचाया गया था। लेकिन एक रात आंसडांड के लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई। उस रात को ग्रामीण इलाकों में आज भी सहम की याद आती है। उस रात के बाद जब भी गांव में हाथियों की आमद होती है, गांव में तबाही मच जाती है। असल में, 2012 में एक हथिनी के बच्चे की मौत हो गई थी।

बच्चे की याद आती है हथिनी में

दरअसल, जिस रात हथिनी के बच्चे की मौत हो गई, उस रात आसादंद में हाथों की टोली पहुंचाई गई थी। दल में हथिनी के साथ उनका बच्चा भी मौजूद था। इसी दौरान एक ऐसी घटना घटी कि हाथी के बच्चे की मौत हो गई। ग्रामीण कर्मचारी है कि हाथी का बच्चा डॉक्टर से फार्मासिस्ट पी गया था। इसकी वजह से उसकी मौत हो गई. मृत्यु के बाद :ह बच्चे के शव को उसी गांव के अमलीपतरा में दफनाया गया था। उस रात के बाद हर साल हथिनी अपने बच्चे की याद में उसकी कब्र के पास पहुंची। फिर कब्र के पास हाथियों का दल चिंघाड़ने लगता है। चिंघाड़ने की आवाज से पता चलता है कि ग्रामीण घर ठीक हो गए हैं। फिर महीनों तक हाथी गांव में जमा रहता है। फिर तबाही मचने के बाद चली जाती है।

ये भी पढ़ें: बिलासपुर समाचार:छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू ने पैदा किया शिशु संकट, बिलासपुर में फिर महिला की मौत, मिले 5 नए रोगी

ग्रामीण कहते हैं कि यह स्टेडियम हर साल होता है। के विद्वान अमरेंदु मिश्रा के हाथी तो हाथियों में संवेदनाओं का आकलन किया गया है। इसके साथ ही हाथों की याददाश्त शक्ति बहुत तेज होती है। अगर हाथी का बच्चा उस गांव में स्थापित है तो मां हथिनी का उस स्थान पर कोई संशय वाली बात नहीं है। बार-बार हैंडियों के दल के मुखिया हथिनी को ही देखा जाता है, क्योंकि पूरे हैंडियों के दल में यह पाया जाता है।

टैग: अंबिकापुर समाचार, बेबी हाथी, छत्तीसगढ़ समाचार

Source link

susheelddk

Related Posts

गूगल समाचार

‘कुछ सांठगांठ…’: सीबीआई ने अदालत से कहा पूर्व आरजी कार प्रिंसिपल संदीप घोष डॉक्टो में बड़ी साजिश से जुड़े हो सकते हैंन्यूज़18 कोलकाता में पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद…

एमपी, यूपी, उत्तराखंड की राह पर चले इस राज्य, यहां भी हिंदी में होगी एमबीबीएस की पढ़ाई

एमबीबीएस हिंदी में: मेडिकल की पढ़ाई करने वालों के लिए एक जरूरी खबर है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में…

Leave a Reply

You Missed

दूरदर्शन के 65 साल पूरे: भारत की सरकारी प्रसारण सेवा का समृद्ध इतिहास – ईटी सरकार

दूरदर्शन के 65 साल पूरे: भारत की सरकारी प्रसारण सेवा का समृद्ध इतिहास – ईटी सरकार

गूगल समाचार

गूगल समाचार

गूगल समाचार

गूगल समाचार

बजाज फ्रीडम 125: खरीदने के प्रमुख कारण

बजाज फ्रीडम 125: खरीदने के प्रमुख कारण

गूगल समाचार

गूगल समाचार

गूगल समाचार

गूगल समाचार