बिलासपुरः पश्चिम बंगाल का रहने वाला मासूम माफिजुल रहमान पिछले 15 दिनों से बिलासपुर की सड़कों पर चाय बेच रहा है। माफिजुल जलते हुए चूल्हे पर चाय की केटली लेकर घूम-घूम कर चाय बेचती है। यूं तो इनमें से एक कंपनी की फर्म बनी हुई है। लेकिन शाम होते ही एकाएक डिजाईन बढ़ जाता है। सदर मार्केट और रिवर व्यू चौपाटी के पास एक चाय की दिवानगी रहती है। युवा लेमन टी और मसाला चाय का अपने दोस्तों के साथ लुभावने हैं। माफ़ी जूल रोज़ सैकड़ों कप चाय बेचकर अच्छी कमाई कर लेते हैं। हर माह अपना खर्चा रेलवे के लिए माफिजुल के बाद 8 से 10 हजार रुपये अपने घर वालों को भेजा जाता है, जिससे उनके परिवार का खर्च चलता है।

निर्दोष बताते हैं कि वे पिछले 15 समुद्र तटों पर पैदल घूम-घूमकर चाय बेचते हैं। रास्ते पर लोग कुछ भी कहते हैं. कोई अच्छा कहता है, तो कोई बुरा बुरा लगता है। फिर भी वह निराश नहीं होता है और अपना काम शुरू कर देता है। वो अब दूसरा काम नहीं करना चाहता. चाय बिजनेसमैन ही अब उनका प्रोफेशन बन गया है। चाय बेचकर ही इनके परिवार का खर्च है।

घर में जबरन किया गया पलायन
मासूम माफ़ू ज़ुएल रहमान ने बताया कि वो 2009 में अपने पिता के साथ रोज़ी-रोटी लॉकर बिलासपुर गए थे। पढ़ाई कर कुछ कर दोस्त की चाहत तो थी. मगर घर की स्थिति ठीक नहीं होने से वह पढ़ाई नहीं कर सका, फिर भी वह नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई कर चुका है। छोटी उम्र से ही घर में रहना अपने पिता का काम ही शुरू हो गया। अब अकेली बिजनेसमैन है। माँ, पापा और भाई पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में रहते हैं। वह परिवार के खर्च के लिए हर माह 8 से 10 हजार रुपये भेजता है।

पहले प्रकाशित : 22 सितंबर, 2024, 14:51 IST

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