बिलासपुर: कभी-कभी लोगों के साथ कुछ ऐसा हो जाता है, जिसकी कल्पना कभी नहीं की जाती. कुछ ऐसा ही हुआ बिलासपुर के मुरली दीवान के साथ। उनका डायन हैंड पैरा बस की वजह से काम नहीं चलता। लेकिन उन्होंने कभी भी इसे अपनी कमजोरी नहीं समझा। पिछले 8 महीने से वो गोलगप्पे बेच रहे हैं।

बहुत मेहनत करते हैं मुरलीवाले
मुरलीवाला का डायन हाथ का काम कर पाता है। पर उन्होंने इस कमजोरी को बिना डरे हरा दिया। वो पानी बेचकर रोजी-रोटीपुरी कमा रहे हैं। अपनी जिंदगी को नए सिरे से जी रहे हैं। वो एक हाथ से ही इंटरनेट को पानीपुरी खिलाते हैं। मेहनत का फल ही यह है कि उनकी ठेले के सामने ग्राहकों की भीड़ हमेशा लगी रहती है।

मूर्तियाँ हैं, ’12वीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान मैं सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था, जिसके बाद मेरा डायन हाथ हमेशा के लिए सुन्न हो गया। ‘पर मैंने ‘हिक्का नहीं खाया और अपने बाएं हाथ से ही काम शुरू कर दिया।’

हर दिन कमाते हैं 500-1000 रुपये
पानीपुरी बेचकर वो हर दिन 500 से 1000 रुपये कमाते हैं। महीने के हिसाब से यह कमाई 20 से 25 हजार रुपये तक पहुंच जाती है। इससे वो अपने परिवार का पूरा खर्चा शेयर करते हैं। उनके परिवार में मां, भाई, पत्नी और एक बच्चा है। उनकी मां और भाई कटघोरा के पास एक गांव में रहते हैं, लेकिन मुरली अपने परिवार के लिए बिलासपुर में रह रहे हैं।

परिवार ने हमेशा सहयोग किया
मुरली ने बताया कि वो 12वीं पास करने के बाद पढ़ाई के साथ ही परिवार के लिए वेटर का काम करने लगे थे। जहां से उनकी कम कमाई हो गई थी और मीटिंग वाले से अपने परिवार का खर्चा शुरू हो गया था। इसी दौरान मुरली ने बिलासपुर के भातखंडे संगीत महाविद्यालय से संगीत का शौक पूरा करने के लिए संगीत तैयार किया।

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‘बीटेक पानीपुरी वाली’ से मिली प्रेरणा
मुरली दीवान सबसे पहले बिलासपुर के संतोष लॉज में वेटर का काम करते थे। तभी उन्होंने एक वीडियो देखा, जिसमें एक बीटेक की पढ़ाई पूरी करने वाली लड़की पानी पुरी का काम कर रही थी। इस वीडियो से मिली प्रेरणा लेकर मुरली ने भी वेटर की नौकरी खरीदने के लिए अपना पानीपुरी का ठेला खरीदने का फैसला लिया। अब वो रोज कंपनी गार्डन के सामने अपने ठेला जूते और अच्छे से काम कर रहे हैं।

3 किलोमीटर पैदल चलने वालों के लिए ठेले बनाए गए हैं
मुरली रोजमर्रा की दुकान से 3 किलोमीटर पैदल चलने वाले पार्क कंपनी गार्डन तक पानी पुरी के दर्शन करते हैं। वो घर से सारा सामान थैले में लेकर बनाए जाते हैं और पड़ोसी के घर में रखे ठेले को एक हाथ से खींचकर सड़क किनारे ले जाते हैं। ठेला लगाने के बाद वो सपनों को पानी पुरी का काम शुरू कर देते हैं।

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