जांजगीर-चांपा. छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तुररिधाम में 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देव दीपावली का भव्य आयोजन होगा। सक्ती जांजगीर-चांपा जिले से अलग अलग नया जिला बनाया गया है। देव दीपावली पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में देव दीपावली का विशेष महत्व है। यह पर्व दीपावली के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है। देव दीपावली के इस समारोह में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं।

रहस्य का विषय है पानी का स्त्रोत
तुर्रीधाम शिवभक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय है। इस प्रसिद्घ तुर्रीधाम मंदिर में ऐसी शिवलिंग है जिस पर प्राकृतिक रूप से लगातार जल अभिषेक होता रहता है। दीवाल पर बनी योनि से जल अभिषेक हो रहा है। पानी का स्रोत आज भी रहस्य का विषय है, भू-वैज्ञानिकों का भी पता नहीं चल पाया है। यहां साल भर गायब रहते हैं।

ज्योतिर्लिंगों के समान ही पूज्य
स्थानीय सिद्धांतों के अनुसार यहां विद्यमान शिवलिंग, प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के समान ही वंदनीय-पूजनीय है। इस तुर्रीधाम मंदिर में 15 नवंबर को बनारस के भव्य गंगा आरती होगी। रुद्रमह अभिषेक और बाबा का अभिषेक होगा, 5100 दीप जलाएंगे, भव्य देवता होंगे।

राजा बहादुर सिंह का भव्य मंदिर बनाया गया है
तुर्रीधाम मंदिर के पुजारी सुरेश पुरी जी ने बताया कि यह प्रसिद्ध तुर्रीधाम मंदिर राजा सुरभि बहादुर सिंह के द्वारा बनवाया गया है, यहां शिवजी पर सालभर जल अभिषेक होता है। खास बात यह है कि यह जल कभी भी बहाल नहीं होता, स्थानीय लोग इसे गंगाजल के रूप में मानते हैं। यहां- दूर से लोग दर्शन करने आते हैं, यहां 15 नवंबर को देव के दिन बरातियों की गंगा आरती, शिवजी की आरती होगी। इसके साथ ही इस दिन 5100 दीप प्रज्वलित किये गये, भोलेनाथ जी की भव्य आरती की गयी। इस दिन अन्य पड़ोसी जिले कोरबा, बिलासपुर, रायगढ़ से भी लोग आते हैं और भगवान शिव जी के दर्शन करते हैं।

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