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बिलासपुर32 मिनट पहले
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![हाईकोर्ट ने रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग के खिलाफ दिया आदेश। - Dainik Bhaskar](https://i0.wp.com/images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/04/26/untitled_1682517874.png?resize=720%2C540&ssl=1)
हाईकोर्ट ने रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग के खिलाफ दिया आदेश।
रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग में कार्यरत प्रशिक्षण अधिकारियों को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें बर्खास्त करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। ट्रेनिंग ऑफिसर्स ने प्रमोशन की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद विभाग ने उनकी नियुक्ति में आरक्षण नियमों का पालन नहीं होने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में आदेश दिया तो विभाग ने डिवीजन बेंच में अपील की थी, जिस पर अब डिवीजन बेंच ने भी उनके पक्ष में फैसला दिया है।
दरअसल, संचालक एवं रोजगार प्रशिक्षण विभाग ने वर्ष 2013 में 723 प्रशिक्षण अधिकारियों की नियुक्ति की थी, जिसमें आराधना नाथ, टिकेंद्र वर्मा, सुरेन्द्र देवांगन समेत 50 प्रशिक्षण अधिकारी भी शामिल थे। विभाग में लंबे समय तक सेवा देने के बाद भी प्रमोशन नहीं देने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि पदोन्नति के लिए विभागीय पदोन्नति समिति की ओर से बैठक नहीं ली गई है, जिसके कारण न तो वरिष्ठता सूची जारी की गई है और न ही उन्हें प्रमोशन मिल रहा है। याचिका में शासन के प्रावधान के अनुसार प्रमोशन देने की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने DPC की बैठक लेकर प्रमोशन देने दिया था आदेश
उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य शासन से जवाब मांगा था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने प्रशिक्षण अधिकारियों के पक्ष में आदेश दिया था। साथ ही विभाग को विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक बुलाकर याचिकाकर्ताओं को नियमानुसार पदोन्नति देने का आदेश दिया था।
प्रमोशन के बजाए बर्खास्त करने जारी किया नोटिस
इस दौरान विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश पर न तो विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक बुलाई और न ही याचिकाकर्ताओं को पदोन्नति दी। बल्कि, याचिकाकर्ताओं को बतौर सजा सबक सिखाने के लिए उनकी नियुक्ति की कुंडली निकाल दी। इसके बाद कहा गया कि नियुक्ति के समय आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया था, इसलिए उनकी सेवा समाप्ति करने का नोटिस जारी कर दिया गया। सेवा समाप्ति के नोटिस को चुनौती देते हुए उन्होंने एडवोकेट फैजल अख्तर के माध्यम से याचिका दायर कर दी। छह महीने तक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने प्रशिक्षण अधिकारियों के पक्ष में फैसला दिया और सेवा समाप्ति के नोटिस को निरस्त कर दिया।
सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ विभाग ने की अपील
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद याचिकाकर्ता ने प्रमोशन देने के लिए फिर से विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक बुलाने की मांग की। लेकिन, इस आदेश के करीब साल भर बाद विभाग ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील कर दी। इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रशिक्षण अधिकारियों के एडवोकेट फैजल अख्तर ने तर्क दिया कि नियुक्ति के आठ साल बाद अचानक किसी कर्मचारी को आरक्षण नियमों का हवाला देकर सेवा से अलग नहीं किया जा सकता। अगर, भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन नहीं हुआ था तो नियुक्ति करने वाले जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि, नियुक्ति में आरक्षण को लेकर उम्मीदवारों ने कोई गलती नहीं की थी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षण अधिकारियों को सेवा समाप्त करने के लिए न तो कोई भी चार्जशीट दिया गया है और न ही जांच की गई है। संविधान के अनुच्छेद 311 (2) के तहत किसी भी शासकीय कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त करने के पूर्व उस कर्मचारी को सौंपे गए दायित्वों में लापरवाही या अनुशासनहीनता करने पर ही कार्रवाई की जा सकती है। सभी पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को सही ठहराया है। साथ ही विभाग के संचालक के सेवा समाप्ति के नोटिस को निरस्त कर दिया है।