रीवा: मिट्टी के बर्तन और टुकड़े बनाने वाली रजनी प्रजापति के मित्र 18 की टीम से हुई। उन्होंने सड़क के किनारे किनारे की छोटी सी दुकान रखी थी। हमने रुककर अपनी बात की तो पता चला कि उनके बच्चे डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे हैं। एक बच्चा रीवा आयुर्वेद हॉस्पिटल में डॉक्टर है और दूसरा बच्चा एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। हमारी मछली और बढ़ी कि फिर मिट्टी के बर्तन बनाने का काम ही क्यों? और छोटी सी दुकान क्यों? तब रजनी ने बताया कि यह हमारा पेशा है। हम मिट्टी के बर्तन बनाते हैं जैसे कि चाय और लस्सी पीने वाला, दिया और इकट्ठा करने का काम करते हैं। इसी से बच्चा भी पढ़ रहे हैं.

आधुनिकता और मिट्टी के दीपक
आधुनिकता में लोग तो लाइट और मोमबत्ती का उपयोग करते हैं, तो क्या लोग यह देते हैं? रजनी ने कहा कि मिट्टी का जन्म और मृत्यु एक साथ होती है। मिट्टी तो पंचतत्व का हिस्सा है, शरीर इसी से मिलकर बना है और इसी में मिलना है। इसलिए मिट्टी के दीपक को पंचतत्व का प्रतीक माना जाता है।

मिट्टी का दिया कैसे बनता है
मिट्टी को पानी में गलाकर बनाया जाता है, जो भूमि और जल तत्व का प्रतीक होता है। जब यह बनता है, तो इसे धूप और हवा में सुखाया जाता है, जो आकाश और वायु का प्रतीक है। फिर इसे अग्नि में तापकर बनाया जाता है, जो अग्नि का प्रतीक है। धार्मिक रहस्यों के अनुसार पूजा के समय मिट्टी का दीपक प्रकाशित होने से साधकों का साहस और विक्रय की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही घर में सुख और समृद्धि आती है।

पूजा में दीपक का महत्व
मिट्टी का दीया बिकने से घर में सकारात्मकता आती है। इसके साथ ही यदि आप भी किसी देवी-देवता के सामने दीपक जलाते हैं तो आपको हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है। पंडित सुजीत जी महाराज के अनुसार, दीपक में देवी-देवताओं का तेज होता है। इस कारण पूजा में इसे जलाना शुभ होता है। दीपक न केवल देवी-देवताओं की पूजा के लिए जलाया जाता है, बल्कि पितरों की पूजा में भी दीपक जलाने का अधिक महत्व है।

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