नम्रतापुरम: शहर में विकास का प्रकोप थमाने का नाम नहीं ले रहा है. सरकारी और निजी प्रोफाइल में आर्किटेक्चर के शेयरों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले तीन महीनों के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में सबसे ज्यादा 52 परीक्षण मामले दर्ज किए गए हैं। मच्छरों की आबादी के कारण शहर में अल्पसंख्यक आबादी की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बच्चों को लेकर अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता है, क्योंकि बच्चे, बुजुर्ग और सभी बड़े पैमाने की शिक्षाएं शामिल हैं।

इलाज में देरी से अंतिम संस्कार की संभावना
कई मामलों में प्रारंभिक बीमारी और उपचार में देरी के कारण समस्या की समस्या गंभीर हो रही है। कई बार इलाज में देरी के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों से भी विकास के मरीज आ रहे हैं, जिनमें डोलरिया, माखन नगर, सोहागपुर और पिपरिया के मरीज भी शामिल हैं। जिला अस्पताल में आईसीयू की कमी के कारण गंभीर मरीज़ों को भोपाल रेफर किया जा रहा है, जबकि कई मरीज निजी निजी तौर पर इलाज करवा रहे हैं।

घर के तालाब में जमा पानी बनाया लार्वा का घर
डॉक्टरों के अनुसार बारिश के बाद भी कई जगहों पर पानी जमा हो रहा है, जो मच्छरों के पानी का जमाव का मुख्य कारण बन रहा है। घर के तालाबों में जमा पानी भी मच्छरों की संख्या में टुकड़े-टुकड़े हो रहे हैं। विशेषज्ञ का मानना ​​है कि इस पानी को नियमित रूप से डिजाइन करने के लिए इसे नियमित रूप से साफ करना आवश्यक है।

रेटिंग के लक्षण और गंभीर परिणाम
सूची के मुख्य नामों में तेज़ बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, उल्टी, दस्त, और प्लेट प्लास्टर की कमी शामिल हैं। गंभीर मामलों में हेमोरेजिक बुखार और स्कोर सिंड्रोम का उल्लेख किया जा सकता है, जिससे विशेष रूप से बच्चों में ब्रेस्ट फेलियर और ब्लीडिंग का खतरा रहता है।

परिभाषा से बचाव के उपाय
जिला मलेरिया अधिकारी डाॅ. अरुणाश्विर ने लोक 18 को बताया कि लेआउट से लेकर पुनर्निर्माण तक पर लगातार काम किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम शहर और ग्रामीण इलाकों में सर्वे कर रही है और लोगों को अपने घरों के आसपास पानी जाम न करने की सलाह दी जा रही है। ब्लॉकचेन में पानी न की शिकायत और जमा हुए पानी को साफ करने पर विशेष ध्यान देने की अपील की जा रही है।

निष्कर्ष
शहरवासियों के बीच विकासशील मामलों की सूची में सावधानी की आवश्यकता है। धार्मिक और स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि नियमित स्वच्छता और नियंत्रण नियंत्रण उपायों से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। इलाज में देरी से बचना और सही समय पर चिकित्सा सहायता लेना से गंभीर स्थिति से बचाव हो सकता है।

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