जांजगीर चांपा:- नाग पंचमी का त्यौहार देश भर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, कहीं किसान सांप को दूध पिलाकर प्रसाद खाते हैं तो कहीं किसान नाग को दूध पिलाकर काम रोकते हैं, तो कहीं किसान नाग को दूध पिलाकर पूजा करते हैं, हिंदू धर्म नाग पंचमी के दिन घरों में मनाते हैं भगवान शिव जी की विधि विधान से पूजा की जाती है, इस दिन नाग देवता को दूध और गाय के गोबर से घर के बाहर खेतों में सांपो के बिल (दिलवा) के पास मनाया जाता है, नागपंचमी के दिन गाय के गोबर से घरों के दीवाने सांप का शिखर बना हुआ है, जानिए पंडित जी ने बताया इसका महत्व और क्यों बनाया गया है सांप का शिखर।
जांजगीर जिला मुख्यालय के पुराने सीलन कॉलोनी के दुर्गा मंदिर के पुजारी बसंत शर्मा महाराज ने बताया कि नाग पंचमी का पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 9 अगस्त 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा, पंडित जी उन्होंने बताया कि नाग पंचमी के दिन मुख्य रूप से तक्षक नाग की पूजा की जाती है, और इस दिन गाय के गोबर से जमीन में सांप बनाया जाता है, लेकिन इसे जमीन के बदले घर के दीवाल पर बनाया जाता है, क्योंकि जमीन पर से बनाया जाता है। उसने पैर में उल्लेख किया और यह अच्छा नहीं है इसलिए दीवाल पर बात की जाती है, और इस गोबर से बने साप के मुंह के पास रुई और चंदन, तिलक लगाया जाता है। और इसे पोला (पोरा) के दिन मनाया जाता है। पंडित जी ने दीवाली में सांप बने नववधू के साथ नई शादी की है, जिसमें उनके लिए नाग पूजा की सजावट की गई है।
नाग पंचमी के दिन ही घर में पूजा के दूसरे दिन
नाग देवता को दूध पिलाने की परंपरा है, इस दिन किसान सुबह से ही नाग को दूध पिलाने के उद्देश्य से दूध लेकर खेतो में चैंपियनशिप है, नाग पंचमी के दिन किसान खेती का काम नहीं करते हैं। और इस दिन किसी भी प्रकार के लोहे से बने कृषि उपकरण का उपयोग जमीन में नहीं किया जा सकता है।
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पहले प्रकाशित : 8 अगस्त, 2024, 14:26 IST
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