राजानंदगांव: जिले के विश्व प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर में क्वांर नवरात्रि के पहले दिन से ही हजारों हजारों माता के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों के भक्तों की आस्था का केंद्र है। माँ बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए 1000 से भी अधिक जादुई जादुई मूर्तियां हैं, हालाँकि रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है। नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान यहां माता के दर्शन के लिए लगभग 10 लाख से अधिक ज्योति कलश गए हैं और इस वर्ष 900 से अधिक ज्योति कलश गए हैं। मंदिर के नवरात्रि के अवसर पर भव्य मॉल का भी आयोजन किया जा रहा है।

डोंगरगढ़ के शिखर पर स्थित है मां बम्लेश्वरी देवी का भव्य मंदिर
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर डोंगरगढ़ के 1600 फीट ऊंचे शिखर पर स्थित मां बम्लेश्वरी देवी का भव्य मंदिर भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। यहां स्थापित हैं दो मंदिर शिखर के ऊपर मां बम्लेश्वरी का मंदिर और नीचे मां छोटी बम्लेश्वरी का मंदिर। दूर-दूर से आने वाले भक्त 1000 से अधिक सीढ़ियां तराशी माता के दर्शन करते हैं, जबकि कई स्क्रैप रोपवे का उपयोग करते हैं। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में लाखों अष्टधातु नष्ट होते हैं और माता से अपने मन की पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं।

मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
डोंगरगढ़ में लगभग 2200 वर्ष पुराना यह प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसे राजा वीरसेन ने स्थापित कराया था। उस समय इस स्थान को कामाख्या नगरी के नाम से जाना जाता था। यह छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठों में से एक मान्यता है, जहां नवरात्रि के समय लाखों भक्त माता की पूजा-अर्चना करने और अपने मन की शांति करने के लिए आते हैं। मंदिर के दर्शन से भक्तों का मानना ​​है कि उनकी सभी इच्छाएं पूरी हैं।

भक्तों की आस्था का केंद्र बना मां बम्लेश्वरी का मंदिर
नवरात्रि के दौरान मंदिरों में हजारों की संख्या में अवशेष खत्म होते हैं। लोकल 18 से बातचीत के दौरान भक्त रवि किशोर और दिनेश नायक ने बताया कि वे हर साल माता के दर्शन के लिए यहां आते हैं। उन्होंने कहा, मां बम्लेश्वरी के दर्शन से हमारे सभी मन पूर्ण होते हैं। नवरात्रि पर्व का इस मंदिर में खास महत्व है और हम हर साल अपने परिवार और दोस्तों के साथ यहां आते हैं।

छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठों में माँ बम्लेश्वरी देवी मंदिर का स्थान
मां बम्लेश्वरी देवी का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व दूर-दूर तक फैला हुआ है। नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भीड़ देखी जाती है और भक्त दूर-दूर से माता की पूजा-अर्चना करते हैं।

टैग: छत्तीसगढ़ समाचार, स्थानीय18

Source link