जांजगीर चांपा: पूरे देश में हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली धनतेरस के साथ शुरू होता है। दीवाली के एक दिन पूर्व, छोटी दीवाली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी, जिसे चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, इस दिन यमराज की पूजा करने और यम दीपक जलाने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।

धनतेरस के दूसरे दिन, नरक चतुर्दशी के मौके पर, घर की महिलाएं 14 मिट्टी के दीपक हैं। इन दीपकों में यमराज के नाम से दीपक दीपक घर के बाहर आंगन में चावल और दांतों से चौक की सजा दी जाती है। फिर, उन सभी दीपकों को चौक पर पूजा करते हैं। पूजा करने के बाद, घर वापस जाते समय महिलाएं जलते हुए मिट्टी के दीपक को पलटकर नहीं बदलती हैं।

नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व
जांजगीर दुर्गा मंदिर के पुजारी बसंत शर्मा महाराज ने बताया कि दिवाली का पहला दिन धनतेरस मनाया जाता है, जब 13 दीपक जलाए जाते हैं। इसके बाद दूसरे दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, जिसमें महिलाएं 14 मिट्टी के दीपक बनाकर उन्हें गोबर से पुराने स्थान पर रखती हैं और उस पर चावल और आटे से चौक सजाती हैं। पूजा के बाद, महिलाएं जलते हुए दीपक को पलटकर नहीं बदलतीं, और इसके अगले दिन दीपावली से दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।

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