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दल्लीराजहराएक घंटा पहलेलेखक: लक्ष्मी कुमार
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![-फोटो: सुधीर सागर - Dainik Bhaskar](https://i0.wp.com/images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/06/13/orig_1_1686601891.jpg?resize=720%2C540&ssl=1)
-फोटो: सुधीर सागर
यहां से 121 किमी दूर दुर्ग संभाग में दल्लीराजहरा की तान्दुला नदी में पानी और रेत में एथलेटिक्स की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस ट्रेनिंग से निखरकर अब तक नेशनल लेवल पर 548 खिलाड़ी और स्टेट लेवल पर 578 खिलाड़ी खेल चुके हैं। नेशनल और स्टेट एथलेटिक्स प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज मिलाकर 1169 मेडल जीते हैं। यहां की खिलाड़ी अभी 14 स्कूलों में पीटीआई हैं, और 15आर्मी में चले गए हैं।
यहीं ट्रेनिंग कर निकले 9 खिलाड़ी देश के राष्ट्रीय खेल संस्थान यानी एनआईएस कमें कोच के तौर पर कार्यरत है। शॉर्ट एनआईएस कोच के तौर पर भी 5 की पोस्टिंग है। एथलेटिक्स कोच सुदर्शन सिंह 1991 बीएसपी राजहरा माइंस एथलेटिक्स क्लब में ट्रेनिंग दे रहे हैं।
इनकी कोचिंग में लड़कों से ज्यादा लड़कियां हैं, क्योंकि उनका मानना है कि लड़के 18-20 साल में जाॅब मिलने के बाद खेल छोड़ देते हैं, जबकि लड़कियां ग्रेजुएशन तक खेलती है और मेडल जीतकर लाती है। इसलिए इनका ज्यादा फोक्स लड़कियों पर है। अब तक नेशनल खेलने वाले 548 खिलाड़ियों में 418 लड़कियां है।
जबकि स्टेट खेलने वाले 578 खिलाड़ियों में 451 लड़कियां खेल चुकी हैं। कोच सुदर्शन की ट्रेनिंग अब राजहरा से बाहर भी फेमस होने लगी है। पिछले कुछ सालों से पंजाब और हरियाणा से भी गर्ल्स खिलाड़ी आकर यहां ट्रेनिंग ले चुके है। 100 मीटर, 200 मीटर, लांग, हाई, 1500 मीटर जैसी प्रतियोगिता में हर साल 15 से भी ज्यादा लड़कियां मेडल लाती है।
स्कूलों में खेल के लिए मोटिवेशन | कोच का मानना है कि स्कूलों से ही खिलाड़ी निकल सकते हैं। इसलिए आसपास के प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में बच्चों की काउंसलिंग करते हैं। बच्चाें को एथलेटिक्स में आने के लिए मोटिवेट करते हैं। बच्चे नदी और रेत में दौड़ते हैं। कमर में पैराशूट बांधकर हवा के विपरीत दिशा में दौड़ाते है, ताकि स्टेमिना बढ़े।