राजानंदगांव: जिले के विभिन्न क्षेत्रों में धान की फसल पर थ्रिप्स कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। धान की फसल लगभग पक कर तैयार है, लेकिन इन किसानी के हमलों के कारण फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और किसानों की चिंता बढ़ रही है। कृषि विभाग ने इस समस्या के समाधान के लिए कुछ उपाय सुझाए हैं, जिनमें अपना किसान व्यापारियों को प्रशिक्षण के प्रकोप से बचाया जा सकता है।
फसलों को हो रहा है नुकसान, बीज हो रहे हैं सुख
कृषि विभाग के अनुसार, थ्रिप्स एक सूक्ष्म कीट है जो कि निकोलाई और निकोलाई का रस चूसकर उन्हें नुकसान पहुंचाता है। असिस्टेंट लीडर डॉक्टर बीरेंद्र अनंत ने बताया कि यह कीट फ़ाल के पैनल स्टेज में पूरा रस ले जाता है, जिससे बीज पूरी तरह से पक नहीं पाते और सूख जाते हैं। इस कारण से किसानों की उपज प्रभावित हो रही है, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है।
बचाव के लिए सुझाया गया उपाय
थ्रिप्स किट के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग ने क्लोरोप्लरीफॉस 25 सीसी प्रति 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सलाह दी है। इसके अलावा, एसिटामोल और अन्य शक्तिशाली औषधियों का भी उपयोग किया जा सकता है, जिससे दवाओं के प्रकोप को कम किया जा सकता है। ये उपाय थ्रिप्स के हमलों से बचने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
थ्रिप्स किट क्या है?
थ्रिप्स कीट, जिसे “थंडर मेटल्ज़” भी कहा जाता है, की लंबाई 2 मिमी से कम है। तीसरी पंखुड़ियाँ जैसी होती हैं, जो बालों से चिपकी रहती हैं। थ्रिप्स कीट के सीईओ को छेचेकर उनके रस चूसते हैं। युवाओं की संख्या लगभग 5,000 है, जिनमें से अधिकतर मोटापे को नुकसान पहुँचाते हैं। ये कीट अक्सर भूरे या काले रंग के होते हैं।
किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह
कृषि विभाग की इन जानकारियों से किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। समय-समय पर दवाओं की गुणवत्ता को सुरक्षित रखा जा सके, इसके लिए दवाओं और प्रोसेसर पर नजर रखना जरूरी है।
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पहले प्रकाशित : 9 नवंबर, 2024, 19:16 IST