देखने पर लगता है कि बस देने ही वाली है ये इमारत, ऐसी है हिंडोला महल की कहानी

आपने आज तक कई महलों के बारे में सुना होगा लेकिन शायद ही कभी महल के बारे में सुना हो। तो आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक झूलते हुए महल के बारे में बता रहे हैं। यहां मांडू में एक झूलता हुआ महल है जिसे हिंडोला महल भी कहा जाता है। यह मांडू की रॉयल आर्किटेक्चर में से एक है। यह होसांग शाह के शासनकाल में ख़त्म हो गया था। इस महल को दरबार के लिए इस्तेमाल किया जाता था जहां राजा अपनी प्रजा की आपत्तियों पर आपत्ति जताते थे।

हिंडोला महल का शाब्दिक अर्थ झूलाती स्थान है। यह महल पुराने समय के स्वामी और शासकों की संपत्ति के स्वामी हैं। इस महल में बाहरी किले 77 डिग्री के कोण पर झुके हुए हैं, इसी कारण इसे हिंडोला महल कहा जाता है। हालाँकि, अब यहाँ इस दरबार के इकोनोमियन समय की समीक्षा में दर्शन का अवलोकन किया जा सकता है। खैर, अब इस महल के कई खंड और खंडहर हो गए हैं।

इस महल को गयासुद्दीन ने 1469 – 1500 ई. में बनाया था। सभा भवन के रूप में बैठक हुई थी. इस महल का ऊपरी मंजिल शाही परिवार की महिलाओं का विनाश था। महल को इस तरह से बनाया गया था कि रॉयल फैमिली की महिला हस्तियाँ सीधे पहली मंजिल पर उतरती थीं। इस वजह से यहां बनी एस्ट्रीच को हाथी कहा जाता है। मांडू महल के बारे में कहा जाता है कि यहां गर्मियों में भी ठंड का एहसास होता है। वैसे तो मांडू के बारे में ही कहा जाता है कि यह मध्य प्रदेश के उन स्थानों में से एक है, जो राजाओं की याद दिलाते हैं और समुद्र तटों में भी यह प्राकृतिक रूप से ठंडा रहता है। तो थोड़ा सा मांडू को भी एक्सप्लोर कर लें।

मांडू में हिंडोला महल के अलावा भी कई खूबसूरत जगहें हैं जहां आप घूम सकते हैं। तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि आप मेहनत, समय और पैसा खर्च करके जाएंगे तो सिर्फ एक ही जगह घूमने जाएं। यहां मांडू में शिप महल सहित कई अन्य जगह भी घूमने वाली हैं। विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में बसे मांडू को पहले शादियाबाद और मांडवगढ़ के नाम से जाना जाता था। शादियाबाद का मतलब होता है खुशियों का नगर. अंग्रेजी इसे सिटी ऑफ़ जायय के नाम से भी जानते हैं। मांडू को बसाने का श्रेय परमार राजाओं को दिया जाता है।

मांडू को ऐसा अभेद्य गढ़ भी माना जाता है जिसे दुश्मन कभी भेद नहीं पाते। पहाड़ों के बीच हरियाली से घिरे मांडू में वैसे तो लोग साल भर घूमने आते हैं लेकिन बारिश के मौसम में यहां घूमने के लिए पर्यटकों की भीड़ बढ़ जाती है। अब यहां के छोटे जहाज महल, रानी रूपमती महल, इको पॉइंट के बारे में भी जान लेते हैं।

जहाज़ महल
यह महल दो झीलों कपूर तालाब और मुंज तालाब के बीच बना है। यह किसी पानी वाली जहाज की तरह दिखता है। महल में कई फव्वारे और कैनोल हैं रेन पानी बहता है। राजा अपने सभी देवताओं के साथ यहां समय बिताते थे।

रानी रूपमती महल
रानी रूपमती महल विद्वानों की तरह प्रेम का प्रतीक है। राजा बाज बहादुर रूपमती नाम की एक लड़की से बहुत प्यार करते थे, जो एक लड़की थी। इस प्यार को पूरी दुनिया के सामने जाहिर करने के लिए बाज ब्रेव ने रानी रूपमती के नाम का एक महल बताया। यह महल मांडू का सबसे खूबसूरत स्थान है जहां पर पहुंचने के बाद मांडू और डेनमार्क की नदी का नजारा देखा जा सकता है। कहा जाता है कि रानी रूपमती सुबह-सुबह उठकर नर्मदा के दर्शन के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती थीं। इसलिए रूपमती के प्राकृतिक दर्शन को आसान बनाने के लिए बाजबहादुर ने इस महल को 365 मीटर की ऊंचाई पर चट्टान पर गिरा दिया था। इस तरह की छुट्टियों के कारण मांडू की सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने के लिए इस जगह पर सैनिक भी तैनात किए जाते थे।

बाजबहादुर का महल
बाजबहादुर महल के झरोखे से रानी रूपमती महल का दर्शन किया जा सकता है। बाज बहादुर अपने इसी महल से रूपमती के महल को निहारते थे।

एको बिंदु
यदि आप प्रकृति के करीब रहना पसंद करते हैं तो इको पॉइंट आपकी पसंद हो सकता है। इस जगह की खास बात यह है कि अगर आप यहां जोर से चिल्लाएंगे तो आपकी आवाज से पता चलेगा देवी। आवाज गूँजने के कारण ही इस स्थान को इको पॉइंट कहा जाता है।

ख्वाजाशाह का मकबरा
भारत में संगमरमर का पहली बार इस्तेमाल किसी वैज्ञानिक भाषा में नहीं, बल्कि ख़्वाचांग शाह मकबरे में हुआ था। इसके बाद लॉजिस्टिक में मार्बल तैयार किया गया था। इसके अलावा अशर्फी महल, लोहानी गुफाएं, गदाशाह की दुकान आदि अन्य जगह भी घूमने वाली हैं।

कैसे पहुंचें
मांडू एक छोटा सा शहर है, लेकिन यहां से फ्लाइट के रास्ते तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। मांडू का सबसे दिलचस्प हवाई अड्डा जो मांडू से 100 किमी. की दूरी है. ट्रेन से यात्रा करते हैं डोराडोर रिजर्व रेलवे स्टेशन तक। मांडू धार और डेकोर से अच्छी तरह से कनाल बनी हुई है। मांडू से इंदौर और धार के लिए नियमित रूप से डेमोक्रेट निवास है। आप खुद के वाहन से और घर या धार से कार किराए पर लेकर भी घूम सकते हैं।

हमारे गाँव में-हमारे शहर में। सामाजिक कहानियाँ, स्थानीय पारंपरिक कहानियाँ और मज़दूरों की कहानियाँ, किसानों की कहानियाँ, अच्छा काम करने वाले, किसी को रोज़गार देने वालों की कहानी। इन दस्तावेज़ों को सामने लाना, यही है लोकल-18. इसलिए आप भी हमसे जुड़ें. हमें बताएं अपने आस-पास की कहानी. हमें लाइक करें हमारा नंबर- 08700866366 पर।

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