कोरबा:- छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के करजी गांव में एक पत्नी ने अपने पति की अंतिम यात्रा को अनोखा मोड़ देते हुए उसे मुखाग्नि दी। यह घटना उस समय हुई, जब 47 वर्षीय पति कटवारी लाल राजवाड़े कैंसर से पीड़ित थे और अपनी पत्नी श्यामपती के साथ पिछले दो वर्षों से संघर्ष कर रहे थे। बीमारी के कारण उन्हें काफी भारी खर्च का सामना करना पड़ा और पत्नी ने अपने हिस्सों की जमीन बेचकर उनके इलाज में जो मदद की, वह भी काम नहीं आई। सोमवार की रात कटवारी की मृत्यु हो गई और उसके बाद उनके परिवार में अंतिम संस्कार की घटना सामने आई।

चाचा के बेटे ने मुखाग्नि देकर रख दी मांग
जिस समय इस मामले पर चर्चा चल रही थी, पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने सलाह दी कि मुखाग्नि दी जाए। लेकिन मृतक के बड़े चाचा के बेटे ने इसके लिए एक लाख रुपये या पांच डिसमिल जमीन की मांग की, जो कि सिम्पटी के लिए असंभव था। इस पर श्यामपति ने साहस का उदाहरण पेश करते हुए निर्णय लिया कि वह खुद मुखाग्नि देवी और अपने पति के सभी अंतिम संस्कार की हरकतों को अपनी जिम्मेदारी निभाएंगी।

श्यामपति ने अपने पति की अर्थी को कंधा देकर मुक्तिधाम तक पहुंचाया और वहां मुखाग्नि दी। यह दृश्य देखने वाले गांव में उपस्थित लोगों की नजरें फूलों पर पड़ीं। श्यामपति ने इस कठिन समय में न केवल अपनी पत्नी का कर्तव्य निभाया, बल्कि अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया।

दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा
रिचार्ज ने लोकल 18 को बताया कि ऐसी घटना पर पहले कभी विचार नहीं किया गया था। ग्राम पंचायत करजी के पूर्व उपसरपंच चेतनमणि दास वैष्णव ने बताया कि यह घटना पटना क्षेत्र में एक महिला द्वारा अपने पति की चिता को अग्नि देने का पहला उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस तरह के साहसिक कार्य अन्य महिलाओं से सीखे जाते हैं कि यदि वे ठान लें, तो कोई भी कार्य किया जा सकता है। यह घटना केवल एक महिला की ताकत को खत्म करने के लिए नहीं है, बल्कि समाज में महिलाओं को अपनी आवाज उठाने और दबाव बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है।

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