गुजरात सरकार ने पूछा- क्यों न इसे भंग कर दिया जाए | Gujarat Morbi Bridge Accident Update; Notice To Morbi Municipality

मोरबी3 दिन पहले

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यह फोटो ब्रिज हादसे के अगले दिन यानी 31 अक्टूबर की है। इसमें टूटा हुआ पुल और रेस्क्यू बोट नजर आ रही हैं। - Dainik Bhaskar

यह फोटो ब्रिज हादसे के अगले दिन यानी 31 अक्टूबर की है। इसमें टूटा हुआ पुल और रेस्क्यू बोट नजर आ रही हैं।

गुजरात के मोरबी ब्रिज हादसे में गुजरात सरकार ने मोरबी नगरपालिका को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहने पर क्यों न इसे भंग कर दिया जाए। इसे लेकर राज्य शहरी विकास विभाग द्वारा बुधवार को जारी इस नोटिस में 25 जनवरी तक लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

गौरतलब है कि मोरबी शहर में मच्छू नदी पर बना झूला पुल पिछले साल 30 अक्टूबर को गिर गया था, जिसमें 135 के ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में 40 से बच्चे भी शामिल थे। मोरबी नगरपालिका के साथ हुए एक समझौते के तहत ओरेवा ग्रुप द्वारा इस ब्रिज का संचालन किया जा रहा था।

ओपन होने के 5 दिन बाद ही गिर गया था ब्रिज
आम लोगों के लिए खोले जाने के महज 5 दिन बाद ही यह ब्रिज टूट गया। पुल पर मौजूद करीब 500 लोग नदी में जा गिरे। इनमें से 134 की अब तक मौत हो चुकी है। मृतकों में महिलाएं और 30 से ज्यादा बच्चे भी शामिल हैं। ब्रिज की केबल-जाली थामे रहे 200 लोगों को बचा लिया गया।

143 साल पुराना था ब्रिज
मोरबी की पहचान कहा जाने वाला यह ब्रिज 143 साल पुराना था। इसकी चौड़ाई 1.25 मीटर (4.6 फीट) है। यानी करीब इतनी ही कि दो लोग आमने-सामने से गुजर सकें। इसकी लंबाई 233 मीटर (765 फीट) थी। इतनी कि अगर 500 लोग एक साथ पुल पर खड़े हों तो हर कोई लगभग एक-दूसरे से टच करता हुआ ही दिखाई देगा।

घड़ी-बल्ब बनाने वाली कंपनी के जिम्मे ही छोड़ दिया पुल?
मोरबी का यह ऐतिहासिक पुल शहर की नगर पालिका के अधिकार में था। नगर पालिका ने इसकी मरम्मत की जिम्मेदारी अजंता ओरेवा ग्रुप ऑफ कंपनीज को सौंपी थी। यह इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों, कैलकुलेटर, घरेलू उपकरणों और एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी है। ओरेवा ने ही देश में सबसे पहले एक साल की वारंटी के साथ एलईडी बल्ब बेचने की शुरुआत की थी।

नगर पालिका के CMO संदीप सिंह झाला ने माना कि मरम्मत के दौरान कंपनी के कामकाज की निगरानी के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। यानी पूरी तरह से कंपनी के ऊपर छोड़ दिया गया कि वह पुल को कैसे और किससे बनवाती है और कब चालू करती है?

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