जगदपुर. दो दशक पहले चॉकलेट प्रोडक्शन ने जो प्रयास किया, उसमें उसे ज्यादा सफलता नहीं मिली। वर्ष 2018-19 में नई तकनीक से पहली बार कृषि उपज को इसमें काफी सफलता हाथ लगी। यह प्रयोग इतना सफल हुआ कि यहां उपजाने वाले बाजार में ‘बस्तर फोटोशूट’ के ब्रांड की शक्ल आ गई है। पथरीला होने के कारण वनों के दरभा, दिलमिली और बस्तीर ब्लॉक में खेती न के बराबर होती है। इसी पथरीली जमीन पर अब बागवानी कॉलेज के प्रयास से फूला की खेती करने वाले किसानों से कमाई की जा रही है। जिससे किसानों का भी अब उत्थान हो रहा है।

ब्रांडिंग से मिली अलग पहचान
फूल की खेती करने वाले किसान फूल की खेती करने वाले से बीज चुनकर उसे सुखा रहे हैं। फिर से इन मूर्तियों को जगदलपुर के उद्यानिकी कॉलेज से डाउनलोड किया जाता है। यहां पर प्लांटर और ग्राइंडर की मदद से पाउडर का पाउडर बनाया जाता है। यहां ‘बस्टर ब्रांड’ के नाम से कीट में सील बंद करने का सारा काम किया जाता है और फिर सी-मार्ट, हरिहर जैसे सरकारी एक्सक्लूसिव तक लिया जाता है।

प्रतिफल से गोदाम
क्षेत्र के इन इलाकों में किसानों को उनके फायदे बताने में बहुत समय लगा। इसके बाद उन्होंने यहां की महिलाओं को समूह बनाकर इसकी खेती करने के लिए प्रेरित किया। महिला समूह को खेती करते हुए देखें पुरुष भी साथ में जुड़ें। इससे पहले यहां के जनेऊ किसान कोदो, कुटकी व रागी जैसे फल पर ही मजाक करते थे। मूल असंबद्ध अटेम्प्ट था.

बदल रही इलाके की तस्वीरें
प्रभावित इलाकों में मस्जिदों की मदद से हो रहे प्रयोग ने स्थानीय लोगों की जिंदगी बदल दी है। बीड़ी के लिए पैंथर्स के पत्ते इकट्ठा करने से उनकी कमाई भी बहुत कम थी। इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का भी सुनहरा अवसर मिलता है। किसी बैक प्लेस के लिए व्यावसायिक गतिविधि शुरू हो जाती है वहां से समाज में विकास की गति काफी तेज बनी हुई है। ‘बस्तापुर’ ब्रांड से बड़ा बदलाव पूरे क्षेत्र में नजर आ रहा है।

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