भोपाल. वैसे तो बीड़ी या सिगरेट स्वास्थ्य के लिए मार्केट मार्केट जाते हैं और इनके सेवन से कैंसर का खतरा रहता है। मगर आज हम बीड़ी के बारे में एक ऐसी ही खसखस ​​के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपका दावा है कि इससे सिर्फ दांतों के दर्द और उनसे जुड़ी समस्याएं दूर नहीं होती हैं, बल्कि इससे फेफड़ों को भी कोई नुकसान नहीं होता है।

भोपाल के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में चल रहे जनजातीय वैयक्तिक आश्रम एवं आश्रमों में देश भर के विभिन्न राज्यों से आए जनजातीय वैयक्तिक आश्रम ने भाग लिया है। इस शिविर में आयुर्वेदिक औषधियां और औषधि-बूटी से बनी बीड़ी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। दंत चिकित्सक से आए जन विशेषज्ञ चिकित्सक एक विशेष प्रकार की बीड़ी लेकर आए हैं, जिनका उपयोग दांतों का दर्द, मसूड़ों की समस्या और दांतों के पीलेपन से लेकर दांतों के इलाज के लिए किया जाता है।

सेवन का उपाय
लोकल18 से बात करते हुए कहा गया: टी. मोत्सिल ने बताया कि इस बीड़ी को ‘डायडिल’ कहा जाता है, जिसका सेवन बीड़ी की तरह होता है। मोत्सिल का दावा है कि इससे मुंह में 20 सेकंड तक दांत का दर्द बना रहता है। हालाँकि, इसकी सजावट को अंदर नहीं ले जाना चाहिए, बल्कि 20 सेकंड तक मुंह में बाहरी सजावट करनी चाहिए। इसका उपयोग सुबह और शाम दो बार किया जाता है।

एक बीड़ी की कीमत 50 रुपये
मोत्सिल ने बताया कि इसके सेवन के बाद ब्रूस लेना जरूरी होता है। उनका दावा है कि दो दिनों के उपयोग से दांतों से जुड़ी चीजों से राहत मिलती है। इस औषधीय बीड़ी की कीमत 50 रुपये है, जिसे ‘ट्राई हींग ना’ नाम के पेड़ के पत्ते में ‘डायडिल’ नाटक का नाटक बनाया जाता है।

अन्य अचूक इलाज भी संभव
के. टी. मोत्सिल ने यह भी बताया कि उनके पास बुखार, खून की खराबी, आंखों का रंग, मोटापा और दांतों के दर्द की दवा उपलब्ध है। बुखार की दवा शराब, काली हल्दी और अवेडिया जैसी दवा- मसाले के मिश्रण से तैयार की जाती है, जो काफी असरदार होती है।

टैग: आयुर्वेद डॉक्टर, भोपाल समाचार, ताज़ा हिंदी खबरें, लोकल18, एमपी समाचार

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

Source link