कौन होते हैं डीआरजी, जो गृह मंत्री शाह की डेडलाइन पर लॉन्च का सफाया?

नायडू नायडू, रायपुर. गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के दौरे पर कहा था कि मार्च 2026 तक सेंट्रल का सफाया हो जाएगा। उनके इस बयान के बाद छत्तीसगढ़ के विष्णु देव साय सरकार ने मुख्य धारा में वापसी की और उनके खात्म की कोशिश तेज कर दी। प्रदेश सरकार का साफ कहना है कि या तो विशिष्ट समाज के साथ जुड़ें या खतम के लिए तैयार रहें। सरकार की इस टिप्पणी के बाद स्टॉक एक्सचेंज ने छत्तीसगढ़ के प्रमुख पूर्वोत्तर क्षेत्र को नष्ट करना शुरू कर दिया। इन सुरक्षा में असोसिएट्स में बिल्डर्स, स्ट्रेंथल्स, स्ट्रेंथ्स बटालियन, स्ट्रेंथ बटालियन, स्ट्रेंथ फाइटर्स होते हैं। इसके अलावा एक और फोर्स है जो फ्रंट लाइन पर लड़ती है। सबसे पहले आयरन से तैयार की गई चीज़। इस फोर्स को आम तौर पर रिजर्व गार्ड यानी डीआरजी कहा जाता है।

सार्जेंट है कि साम्यवादी पहले जब छत्तीसगढ़ सरकार को लगा कि माओवादियों की टीम माओवादियों के सफ़ाई के लिए साँचे से लायंस चला रही है तो काफी नहीं है, तो नई योजना बनाई गई। सरकार ने फैसला लिया कि एक ऐसी फोर्स बनाई जाए जो आरपीजी के बीच में से एक हो। यानि, इसमें वे लोग भी शामिल हैं जिनमें होन जो जेनरल को करीब से जानना शामिल है। क्योंकि ऐसे ही लोग उनका नेटवर्क तोड़ सकते हैं. उन दिनों का नेटवर्क स्ट्रीट-गली में था। कहीं भी कुछ भी होता है, उसकी खबर तुरंत तारों से लग गई थी। इसी कारण से बड़ी-मोटी हत्या करके निकल जाते थे। वे पकड़ में भी नहीं आये थे.

हार्डवेयरजी में समान होती है भर्ती
इसलिए सरकार ने स्टॉकजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) का गठन किया। इसका गठन सबसे पहले वर्ष 2008 में नारायणपुर में हुआ था। उसके बाद साल 2008 में और भी विस्फोटकों की भर्ती की गयी। आखिरी बार साल 2013 में सुकमा दांतेवेअर और बीजापुर में भर्तियां की शुरुआत हुई थी। इस फोर्स में स्थानीय युवाओं को रखा जाता है। ये युवा स्थानीय भाषा और भूदृश्य परस्थिति के अध्ययन होते हैं। स्टॉकहोम में सरेन्दर कर ज्वालामुखी की भी भर्ती होती है। ताकि, वे अपने पुराने साथियों के पेंटारे जान अस्तित्व में आ सकें। स्टॉकहाउस में वर्तमान में करीब 2 हजार युवा हैं। वे लगातार जंगल में माओवादियों की तलाश में रहते हैं। जब भी कोई सामान मिलता है, तो सबसे आगे होते हैं गद्दाजी।

गृह मंत्री शाह ने कही थी ये बात
वैज्ञानिक बताते हैं कि पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रायपुर आये थे. उन्होंने यहां कहा था कि लोकतंत्र के लिए लोकतंत्र को चुनौती देना चुनौती है। उग्र उग्रवाद पर अंतिम प्रहार करने का समय आ गया है। यहां उन्होंने कहा था, हमारा मानना ​​है कि हम मार्च 2026 तक देश को वाम उग्रवाद से मुक्त कराएंगे। बिहार, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और कमोबेश महाराष्ट्र के छात्र से मुक्त हुए हैं। ये भारत सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि है. 4 दशक में पहली बार बौद्ध धर्म में गिरावट आई है। ‘नक्सली हिंसा के कारण अब तक देश में कुल 17 हजार लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 2004-14 की तुलना में 2014-24 के दौरान 53 प्रतिशत और स्मारकों की वजह से 70 हजार लोगों की जान चली गई। कमी आई है.’

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