दिनेश यादव, रायसेन। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से अलग खबर है। यहां सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने वाले श्रीश्री 1008 परमहंस श्रीराम बाबा जी की 108 वर्ष पुरानी समाधि ले ली। उन्हें पुण्य सलिला माँ नर्मदा की गोद में जल समाधि दी गयी। श्रीराम बाबा ने अपने पार्थिव शरीर को समाधि स्थल पर समाधि स्थल पर स्थापित किया। इस दौरान हजारों भक्त बाबा की अंतिम यात्रा में शामिल हुए। प्रदेश के लोक स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने भी आश्रम में बाबाजी के चित्र पर आरती कर उद्घोषणा की। श्रीराम बाबा के बारे में कई किवदंतियां हैं। मंत्री पटेल ने बताया कि बाबाजी गरीबों के घर गए थे, तो उनका निजी मकान बन गया था। उसके बाद वे फिर दूसरे गरीब का कल्याण करने उसके घर गये थे।
मान्यता है कि परमहंस श्रीश्री 1008 श्रीराम बाबाजी के अंतिम दर्शनों के लिए मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, छत्तीसगढ़ सहित भारत के कई राज्यों से उनके भक्त आए। श्रीराम बाबा पूर्ण विरक्त, मुक्त आध्यात्मिक संत थे। वे निरंजनी औषधियों से संबंद्धे थे. इसके अलावा उनकी दुनिया में कोई आश्रम, परंपरा या अन्य संपत्ति नहीं थी। वे अविश्वास पर स्थिर रहे. उनकी परंपरा में भगवान शिव को माना जाता है। परमहंस श्रीराम बाबा के देवलोक गमन पर पूरी भक्तमंडली रामजप कर रही है। परमहंस श्रीराम बाबाजी सदैव शोकमुक्त, परम तत्वज्ञानी संप्रदाय के जनक और अनंत आनंद के प्रेरक रहे।
भक्तों ने सुनाए यादगार
श्रीराम बाबाजी के भक्तों ने बताया कि बाबाजी के जीवन में एक शून्य की उत्पति हो गई थी। लेकिन, हमें विश्वास है कि बाबाजी सूक्ष्म रूप में हमेशा हमारे साथ रहेंगे। आत्मा शरीर छोड़ सकती है, वह मर नहीं सकती। इसलिए हमारे बाबाजी अमर हैं। एक अन्य भक्त ने अपना संस्कारण लाभार्थी। उन्होंने बताया कि वह दूसरे राज्य में रहते हैं। एक बार उनके घर में बीमारी ने ले ली की जगह ले ली। सभी लोग बीमार रहने लगे। तब बाबाजी का मन ही मन लगातार ध्यान करता रहा। कुछ दिन बाद उनकी बीमारी दूर हो गई. बाबाजी हमें कहीं और नहीं जा सकते। वे अभी भी हमारे साथ हैं।
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पहले प्रकाशित : 10 सितंबर, 2024, 14:20 IST