कोरबा. जिले में विचरण कर रहे जंगली हाथी काफी गुसलखाने हैं। खेत हो या मकान, ख़ास हो या इंसान, उनके रास्ते में आये तो विनाश तय है। मगर एक गांव ऐसा है जहां के अवशेषों से जंगली हाथियों की दोस्ती हो जाती है। हाथी गांव के करीब मोटरसाइकिल तो हैं, लेकिन कोई नुकसान नहीं पहुंचाते.

ये ग्राम पंचायत चिकनारा की है। जंगल का ये राक्षसी हाथियों का पिछलग्गू बना हुआ है। वर्षों पहले हाथियों के दल ने गांव में तबाही मचाई थी। मगर अब जंगली हाथी के शिष्य बन गये हैं। हाथियों का दल इस रास्ते से तो वापस जाता है, लेकिन गांव के सरहद से लौट जाता है। फ़सल को भी नुकसान नहीं पहुंचाते. पांच महिलाओं को कुचलकर कुचलने वाला लोन वाला हाथी भी इसी गांव से होता हुआ निकला, लेकिन नुकसान नहीं हुआ। जंगली हाथी और पुजारियों के बीच स्थापित यह संबंध की कहानी कुछ साल पहले की है।

कुछ साल पहले जंगल के पास के जंगल में एक बच्चे एलीफेंट का जन्म हुआ था। उस दौरान कैथोलिक विधि ने संयुक्त रूप से हाथी के बच्चे का जन्मदिन मनाया था और विधानसभा से हाथियों की पूजा कर मनाए गए थे, उनके गांव को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था और ग्रामीण भी उनके रास्ते में नहीं आए थे। इसके बाद गांव के ठाकुर देवता से हाथियों से रक्षा करने के लिए डायनासोर की स्थापना की गई थी। ऐसी ही एक मान्यता है कि सरहद के गांव में हाथी के दर्शन के बाद ठाकुर देवता उन्हें वहां से बुलाते हैं। इस वजह से हाथी गांव में प्रवेश नहीं करना चाहिए.

साल 2000 में पहली बार 13 हैंडियों ने दस्तक दी थी। इसके बाद जनसंख्या घनत्व 180 तक पहुंच गया। वर्तमान कोरबा और कटघोरा के जंगल में 60 से 70 हाथियों का निवास है। कोरबा वन मंडल के कुदमुरा और करतला रेंज अधिक प्रभावित हो रहे हैं। घिनारा के आसपास के 25 गांव हाथी में उग्र उत्पात मचाते थे। मगर पिछले 8 साल से क्षेत्र के ग्रामीण बेफिक्री से जीवन जी रहे हैं। किसानों के चेहरे पर मुस्कान है। हाथियों ने पटाखों की दुकान और ग्रामीण भी उन्हें पूजते हैं। हर साल फ़सल कटने के बाद ग्रामीण बेबी एलिफ़ेंट के जन्मदिन के जश्न मनाए जाते हैं।

जिले में वाइल्ड लाइफस्टाइल करने वाले प्रोफेसर सारथी मूर्तिकार हैं कि हाथी दुनिया का सबसे समझदार और सामाजिक जीव है। घिनारा के आचल ने अपना स्वभाव पहले ही बदल लिया। हाथियों की छुट्टी की यात्रा या उन्हें कैथेड्रल के जश्न में अपना खुद का बदलाव। नतीजे ये हुए कि अब हाथी भी इन लोगों को अपना दोस्त बना लेते हैं। नियमित चलकदमी के बीच पिछले 4 वर्षों से इस क्षेत्र में ना कोई जान गई, ना मकान मालिक और ना ही हाथियों ने फ़ासल को नुकसान पहुंचाया। जंगली हाथियों और घिनारा के लोगों के बीच की दोस्ती किसी मिसाल से कम नहीं।

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