कॉलेज परीक्षा में नकल के इस बार छह सौ से ज्यादा केस, इतने दस साल में भी नहीं बने | This time more than 600 cases of cheating in college examination, not even in ten years

रायपुर3 घंटे पहले

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पं. रविशंकर शुक्ल विवि - Dainik Bhaskar

पं. रविशंकर शुक्ल विवि

पं. रविशंकर शुक्ल में कोरोना के तीन साल बाद हुई ऑफलाइन परीक्षा में 600 से ज्यादा नकल के मामले दर्ज किए गए हैं। यह पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है। लगातार तीन साल तक ऑनलाइन परीक्षा देने के बाद ऑफलाइन एग्जाम में छात्रों को बहुत परेशानी हुई। यही वजह है कि इस बार रिकार्ड नकल के मामले दर्ज किए गए हैं।

वहीं दूसरी ओर दसवीं-बारहवीं सीजी बोर्ड परीक्षा में 45 छात्र नकल करते पकड़े गए थे। बोर्ड ने इन सभी छात्रों को नतीजे रद्द कर दिए हैं। इतना ही नहीं यह सभी छात्र जुलाई में होने वाली अवसर परीक्षा में भी शामिल नहीं हो पाएंगे। हाल ही में सरगुजा संभाग में सामूहिक नकल करने वाले दसवीं के एक स्कूल के 209 परीक्षार्थियों को गणित में शून्य नंबर देने का फैसला लिया गया है।

इन सभी छात्रों की गणित की परीक्षा फिर से देनी होगी। उन्हें गणित में पूरक की पात्रता रहेगी। कोरोना के बाद इस साल सीजी बोर्ड परीक्षा के लिए अलग-अलग सेंटर बनाए गए थे। इसके तहत छात्रों को दूसरे स्कूलों में जाकर परीक्षा देनी थी। पिछली बार बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन हुई थी। लेकिन तब सेंटर नहीं बने थे। जिस स्कूल में छात्र पढ़ रहे थे उसे ही परीक्षा केंद्र बनाया गया था।

इसलिए नकल को लेकर सख्ती नहीं की गई थी। लेकिन इस बार नकल रोकने पुख्ता इंतजाम किए गए थे। उड़नदस्ते भी बने थे। जांच अफसरों ने बताया कि सरगुजा के जिस स्कूल में सामूहिक नकल की गई थी वहां के सभी छात्रों ने सवालों के जवाब एक जैसे लिखे थे। मूल्यांकन के दौरान इसकी शिकायत मिली थी। जब इसकी जांच की गई तो शिकायत सही पाई गई। इसलिए गणित में सभी को जीरो नंबर दिया गया।

कॉलेज वालों ने कई तरीके से की नकल चिट बनाए, स्मार्ट वॉच भी लेकर आए

तीन साल बाद परीक्षा केंद्रों में परीक्षा देने वाले कॉलेज छात्रों ने हर तरीके से नकल की। अलग-अलग विषयों में करीब छह सौ छात्र नकल सामग्री के साथ पकड़े गए। नकल करने वाले छात्रों के पास से गाइड, कुंजी, कागज की चिट तो मिली है कई ऐसे भी थे जो स्मार्ट वॉच से नकल कर रहे थे। कई ऐसे भी थे जो मोबाइल से नकल कर रहे थे। इनके मोबाइल परीक्षा केंद्र तक कैसे पहुंचे यह भी जांच का विषय है। इस मामले में रविवि अफसरों का कहना है कि इस बार की वार्षिक परीक्षा में नकल के जितने भी मामले बने हैं, उसके निपटारे के लिए कमेटी बनाई जाएगी।

गौरतलब है कि रविवि की तीन साल की वार्षिक परीक्षा 2020, 2021 और 2022 ऑनलाइन या ब्लैंडेड मोड में हुई। छात्रों ने घर से पेपर लिखकर जमा किए थे। इसका असर रिजल्ट पर भी पड़ा था। बड़ी संख्या में छात्र फर्स्ट डिवीजन से पास हुए थे। लेकिन इस साल ऑफलाइन परीक्षा से नकल के मामले तो बढ़े ही नतीजे भी खराब आ रहे हैं। बीकॉम और बीसीए की परीक्षा में फेल और पूरक पाने वाले छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा है।

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