केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को बिहार के पटना में किसानों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी आत्मा हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने उन्हें किसानों की सेवा का दायित्व सौंपा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मेरे लिए किसानों की सेवा करना भगवान की पूजा करने जैसा है। हम देश के किसानों के कल्याण के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।” कृषि कल्याण के कार्यों में निरंतर लगे बिहार सरकार, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कृषि विभाग को बधाई देते हुए चौहान ने कहा कि आज उन्होंने यहां लगे स्टॉल देखे, मखाना, चावल, शहद, मक्का, चाय और सब कुछ अद्भुत है। उन्होंने कहा कि बड़ी जमीन की कमी और 91 प्रतिशत सीमांत किसानों के बावजूद “हमारे किसान आज भी अद्भुत काम कर रहे हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने खेती में आय दोगुनी करने का अभियान शुरू किया है और उनके पास किसानों के लिए 6 सूत्र हैं जिन पर वे काम कर रहे हैं। पहला उत्पादन बढ़ाना, जिसके लिए अच्छे बीज जरूरी हैं। उत्पादन अच्छा है लेकिन संभावनाएं और भी हैं। फल, सब्जी, अनाज, दलहन और तिलहन के अच्छे बीज जरूरी हैं। उन्हें खुशी है कि प्रधानमंत्री ने 65 फसलों के 109 प्रजातियों के बीज किसानों को समर्पित किए हैं। उन्होंने बताया कि चावल की एक किस्म ऐसी है जिसे 30 फीसदी कम पानी की जरूरत होती है, बाजरा की एक किस्म ऐसी है जिसकी फसल 70 दिन में तैयार हो जाती है। ऐसे बीज हैं जो जलवायु के अनुकूल हैं, बढ़ते तापमान में भी अच्छा उत्पादन देते हैं। वे आईसीएआर से बात करेंगे ताकि यहां के किसानों को बीज उपलब्ध हो सकें।
चौहान ने बताया कि उत्पादन लागत को कम करना उनका दूसरा संकल्प है, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसानों को काफी मदद मिलती है, केसीसी से खाद के लिए सस्ते लोन मिलते हैं। तीसरा संकल्प है उपज का सही दाम दिलाना। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार का मखाना धूम मचा रहा है और एक्सपोर्ट क्वालिटी के मखाने का उत्पादन हो रहा है और जब इनका निर्यात होता है तो किसान को ज्यादा फायदा होता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे बिहार में इससे संबंधित एक कार्यालय बनवाने का प्रयास करेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि का विविधीकरण सरकार के रोडमैप में है और पारंपरिक फसलों के साथ-साथ अधिक पैसे देने वाली फसलों को बढ़ावा देने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण के बारे में भी बात करना चाहूंगा। बिहार की प्रतिभा दुनिया में अद्भुत है। इस प्रतिभा का सही उपयोग न केवल बिहार को भारत का अग्रणी बनाएगा, बल्कि भारत को दुनिया का अग्रणी बनाएगा।
उन्होंने कहा कि हम रासायनिक खाद का इस्तेमाल कब तक करते रहेंगे? इससे उर्वरता क्षमता भी कम होती है और उत्पादन पर भी विपरीत असर पड़ता है। आजकल केंचुए खत्म हो गए हैं। खाद डालकर उन्हें खत्म कर दिया गया है। केंचुए 50-60 फीट जमीन के नीचे जाकर ऊपर आ जाते हैं, इससे जमीन उपजाऊ बनी रहती है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती का मिशन शुरू हो रहा है। इससे उत्पादन कम नहीं होगा, बल्कि बढ़ेगा।
चौहान ने कहा कि अगली बार वे खेतों में ही कार्यक्रम करेंगे, व्यावहारिक समस्याओं पर भी विचार करेंगे। किसान के बिना दुनिया नहीं चल सकती। बाकी चीजें तो फैक्ट्री में बन जाएंगी, लेकिन गेहूं-चावल कहां से लाओगे? हम सब मिलकर काम करेंगे।