कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस विधेयक पेश किया, जिसका उद्देश्य नगर प्रशासन को विकेन्द्रित करने के लिए अधिकतम 10 नगर निगमों की स्थापना करना है।
विधेयक में बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को ग्रेटर बेंगलुरु क्षेत्र में अधिकतम 10 नगर निगमों में विभाजित करने का प्रस्ताव है।
विधेयक में ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण (जीबीए) की स्थापना का प्रस्ताव है, जिसमें मुख्यमंत्री पदेन अध्यक्ष होंगे, बेंगलुरु के प्रभारी मंत्री उपाध्यक्ष होंगे तथा ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण के मुख्य आयुक्त पदेन सदस्य सचिव होंगे।
कर्नाटक के गृह, शहरी विकास, परिवहन और ऊर्जा विभाग के मंत्री तथा बेंगलुरू के मंत्री पदेन सदस्य होंगे।
इनके अलावा, नगर निगमों के महापौर, नगर निगम सदस्यों द्वारा नामित प्रत्येक नगर निगम से दो सदस्य जीबीए के सदस्य होंगे, बैंगलोर विकास प्राधिकरण आयुक्त, बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के अध्यक्ष, तथा बैंगलोर मेट्रो रेल निगम लिमिटेड, बेंगलुरु सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड और बैंगलोर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी के प्रबंध निदेशक, साथ ही बेंगलुरु पुलिस आयुक्त, बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन भूमि परिवहन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जीबीए के मुख्य नगर योजनाकार और इंजीनियर-इन-चीफ, तथा कर्नाटक राज्य अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवाओं के निदेशक पदेन सदस्य होंगे।
नगर निगमों के आयुक्त भी जी.बी.ए. के पदेन सदस्य होंगे, लेकिन उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होगा। विधेयक के अनुसार, लोक सभा और राज्य विधानसभा के सभी सदस्य, जिनके निर्वाचन क्षेत्र ग्रेटर बेंगलुरु क्षेत्र के भीतर या उसके अंतर्गत आते हैं, ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण के स्थायी आमंत्रित सदस्य होंगे और बैठक में भाग ले सकते हैं, लेकिन उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होगा। मुख्य आयुक्त अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से नीचे का अधिकारी नहीं होगा।
नगर निगम प्राधिकरणों में महापौर, आयुक्त, संयुक्त आयुक्तों के साथ-साथ स्थायी समितियां, क्षेत्रीय समितियां, वार्ड समितियां और ‘क्षेत्र सभाएं’ शामिल होंगी। महापौर और उप महापौर पांच साल की अवधि के लिए पद पर रहेंगे और यह नगर निगम के कार्यालय के कार्यकाल के साथ समाप्त होगा।
कर्नाटक विधानसभा में भाजपा ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इससे बेंगलुरु और विभाजित हो जाएगा और इसकी पहचान खत्म हो जाएगी। हालांकि, बेंगलुरु विकास के प्रभारी उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने विपक्षी नेताओं की आशंकाओं को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी विधेयक पेश किया है और यह अभी पारित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जीबीए बनाते समय वे सभी को साथ लेकर चलेंगे।
शिवकुमार ने कहा कि इस मुद्दे पर 27 जुलाई को बेंगलुरु के सभी विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक होगी, ताकि सभी संदेह दूर किए जा सकें। भाजपा नेता और पूर्व पार्षद पद्मनाभ रेड्डी ने टिप्पणी की कि यह विधेयक वास्तव में शहर के शासन को विकेंद्रीकृत करने के बजाय नगर निगमों को केंद्रीकृत करता है।