कनकेश्वर महादेव मंदिर की कहानी, पौराणिक कथा

यूपीपी/सैपकोरबा:- यहां मौजूद हैं शिव के प्रति लोगों की आस्था वाले प्राचीन शिवालय। सदियों पुराने इतिहास में शामिल कोरबा जिले के मंदिरों में से एक मंदिर में पाली का महादेव, छत्तीसगढ़ का शंकर गुफा के अंदर स्थित शिवलिंग और कनकी धाम का कनकेश्वर महादेव मंदिर शामिल है। इस मंदिर में वैसे तो हर रोज पूजा अनुष्ठान होते हैं, लेकिन सावन मास और महाशिवरात्रि के दौरान पूजा करने वालों की संख्या बढ़ जाती है। आज हम आपको ग्राम कनकी में स्थित कनकेश्वर महादेव की स्थापना की कहानी बताने वाले हैं।

अनोखी है स्थापना मंदिर की कहानी
जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर कनकी का कनकेश्वर महादेव मंदिर है। इसे चक्रेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार एक गाय रोज विक्रेता इस प्रार्थना पर दूध चढ़ाती थी। एक दिन गाय को गले लगा लिया ऐसा देख लिया. असंतृप्त में जहां गाय द्वारा दूध चढ़ाया गया था, वहां से प्रहार कर दिया गया। जैसे ही उसने डंडा मारा, कुछ क्रिएटर की आवाज आई। उस स्थान की सफाई करने पर वहां एक शिवलिंग मिला, जहां बाद में मंदिर का निर्माण किया गया। बार-बार शिवलिंग के पास कनकी के दानें (चावल) पड़े होने के कारण मंदिर का नाम कनकेश्वर महादेव पड़ा। मंदिर की स्थापना के बाद गांव बस गया, जिसका नाम कांकी पेड है।

200 साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण
उन्होंने लोकल18 को आगे बताया कि स्वयंभू शिव मंदिर में इस मंदिर का महत्व क्या है। ऐतिहासिक दृष्टि से मंदिर अति प्राचीन है। स्वयंभू लिपि की स्थापना का संवत या ईसा सन स्पष्ट नहीं है। मंदिर का निर्माण कोरबा जमींदारी परिवार ने 200 वर्ष पहले कराया था। 50 फीट ऊंचे मंदिर का निर्माण स्थापत्य कला का संस्करण है। मंदिर के पुजारी प्रसाद यादव के अनुसार, उनके ही पूर्वज बाजू यादव ने शिवलिंग की खोज की थी, वर्तमान में 18वीं पीढ़ी में यहां सेवा कर रही हैं।

टैग: छत्तीसगढ़ समाचार, लोकल18, सावन माह

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्यों और आचार्यों से बात करके लिखी गई है। कोई भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि संयोग ही है। ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है। बताई गई किसी भी बात का लोकल-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है।

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