इस ट्री बैंक FD से भी ज्यादा रिटर्न, सिर्फ 5 साल में 70 लाख की होगी कमाई

महासमुन्दः नीलगिरी यीज़ (यूकेलिप्टस) की खेती पूरे भारत में कहीं भी हो सकती है। पहाड़ी क्षेत्र हो या मैदानी हर जगह इस पेड़ का इस्तेमाल किया जा सकता है। सीज़न का भी इस पेड़ पर कोई खास फर्क नहीं है। इस पेड़ को जोड़कर किसान अच्छा दावा कमा सकते हैं। नीलगिरि के पेड़ की खेती में ठीक-ठाक स्तर का आकलन किया जा सकता है। हालाँकि, पिछले कुछ समय से इसकी खेती करने वाले किसानों की रुचि में कुछ कमी देखी गई है।

विशेषज्ञ इसके पीछे किसानों के बीच जागरूकता में कमी करते हैं। अगर नीलगिरी के पेड़ की खेती को मापने के तरीकों से किया जाए तो बेहद कम समय में लाखों-करोड़ों का मुनाफा कमाया जा सकता है। साथ ही इस पेड़ में अन्य खेती के लिए आवश्यक सामग्री की भी आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा नीलगिरी के पेड़ की देखभाल और देखरेख की कोई आवश्यकता नहीं है।

अच्छे प्रकार की बिल्डिंग लकड़ी
नीलगिरी या सफेदा के पेड़ से अच्छे प्रकार की भवन निर्माण लकड़ी प्राप्त होती है, जो जहाज बनाने, भवन निर्माण के खंभे, या फर्नीचर के निर्माण में काम आती है। जिंक से इसका एक सीरमयुक्त उ घटक तेल, यूकेलिप्टस तेल, बाहर जाता है, जो गले, नाक और पेट की थैली, या ठंडी में औषधि के रूप में उपयोगी होता है। इस पेड़ से एक प्रकार का गोंद भी प्राप्त होता है। पेड़ों की मूर्तियाँ कागज बनाने और चमड़ा बनाने के काम में आती हैं।

नीलगिरी की खेती कैसे करें
नीलगिरी की खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है। इस उपाय का विकास सिक्के और नमूने दोनों से ही किया जा सकता है। इसके अन्य उपाय काफी लंबे समय तक होते हैं इसलिए उदाहरण: जमीन में ही रोपा होता है। उपचार के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश, हवा और पानी की आवश्यकता होती है।

नीलगिरी की दुकान….
भारत में नीलगिरी के मुख्य रूप से 6 टैटू पाए जाते हैं। मूलतः ऊंची 80 मीटर तक होती है। इनमें नीलगिरी ऑब्लिव्का, नीलगिरी डेलीगेटेंसिस, नीलगिरी डायवर्सीकलर, नीलगिरी नाइटेंस, नीलगिरी ग्लोब्युल्स और नीलगिरी विमिनैलिस प्रमुख हैं।

नीलगिरी की पार्टी कैसे तैयार करें
कृषि विज्ञान के अधिकारी पौराणिक नाग ने बताया कि नीलगिरी के उपाय को तैयार करने में समय लगता है। इसलिए सबसे पहले इसकी तैयारी की जाती है और फिर एक साल बाद इसे खेत में लगाया जा सकता है। बैसाखी में सफेदा की पौध तैयार करने के लिए इसके बीज को पॉलीथीन में लगाया जाता है। जिसमें गोबर खाद मिल मिट्टी भरी होती है। इसकी पौध 5 से 6 महीने में टूटने के लिए तैयार हो जाती है। लेकिन एक साल पुराने पौध को ही खेत में लगाना चाहिए।

नीलगिरी से कितनी हो सकती है कमाई?
नीलगिरि की खेती में ज्यादा खर्च नहीं आता. एक हैट में इसके करीब 3 हजार उपाय जा सकते हैं। क्लास में ये उपाय 7-8 रुपये में मिल जाते हैं. ऐसे में खरीददारी में करीब 21 हजार रुपये का खर्च आता है। अन्य खर्चों को भी जोड़ा जाए तो करीब 25 हजार रुपए का खर्चा आता है। 4 से 5 साल बाद हर पेड़ से करीब 400 किलों की लकड़ियाँ हैं। यानी 3000 पेड़ों से करीब 12,00,000 किलो लकड़ी की ढुलाई. यह लकड़ी बाजार में 6 रुपये प्रति किलो के भाव से बिकती है। ऐसे में निवेश पर करीब 72 लाख रुपये की कमाई हो सकती है. अगर कुछ खर्चा और निकाला जाए तो इसकी खेती से आप कम से कम 60 लाख रुपए 4 से 5 साल में कमा सकते हैं।

टैग: कृषि, छत्तीसगढ़ समाचार, लोकल18

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