आयुर्वेद में रामबाण है ये पौधा, वात, पित्त, त्वचा के लिए बेहद जरूरी

रायपुरः भारत में प्राचीन पुरातन परम्परा से एक परम्परागत आयुर्वेद चिकित्सा का है। असली भारत में प्राचीन काल से आयुर्वेद का बोल बाला है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में हर इलाज संभव है। इसी कड़ी में आज हम आपको पचौली के उपचार के बारे में बताएंगे। पचौली का पौधा केवल रसायनिक तेल के लिए नहीं बल्कि आयुर्वेदिक चिकित्सा में वात, पित्त, त्वचा विकार, सामान्य ठंड, वैरिकाज़ नस, चिंता, यौन कमजोरी, सूजन, अपच, गठिया, गठिया, खांसी और भूख न लगने जैसी समस्याओं के इलाज के लिए बहुत ही बेकार है.

राजधानी रायपुर में स्थित श्री नारायण प्रसाद संग्रहालय, आयुर्वेदाचार्य डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि पचौली की आयुर्वेद चिकित्सा में अहम भूमिका है। इससे न केवल नारियल तेल प्राप्त होता है बल्कि वात, पित्त, त्वचा विकार, सामान्य विषाक्तता, वैराग्य, चिंता, यौन कमजोरी, सूजन, अपच, गठिया, गठिया, खांसी और भूख न लगना जैसी समस्याओं के इलाज के लिए भी प्रयोग किया जाता है। होता है. इसके पत्ते और तेल उपयोगी होते हैं। सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के कलाकारों में भी पचौली के उपाय बताए गए हैं। इसी वजह से छत्तीसगढ़ में भी कुछ किसान पचौली की खेती करने जा रहे हैं।

पचौली की खेती की जाती है
गांधी कृषि विश्वविद्यालय के औषधीय, सगंध पौध एवं आकाशीय वनोपज उत्कृष्टता केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. पीके जोशी ने बताया कि पचौली एक ऐसा पौधा है। जहां पर छायादार स्थान या पेड़ के नीचे जगह पर उसकी खेती की जा सकती है। वैसे छत्तीसगढ़ में ऐसी कम जगह है. जहां पचौली की खेती की जाती है. लेकिन देश के दक्षिण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जा रही है। आंध्रा में पचौली की खेती में आम के पेड़ के नीचे कर रहे हैं। पचौली के नारियल से तेल निकलता है। तेल का उपयोग सुपरमार्केट में किया जाता है। विशेष रूप से पान मसाले में इसकी सुगंध का अहसास हो सकता है। बहुत सारे उद्योग हैं. जहां पचौली के उपयोग से उत्पाद तैयार किये जाते हैं। पचौली की सजावट भी बहुत है.

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अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

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