राजानंदगांव. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की पूरी कुंडली अपार में रहेगी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत अपार यानी ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक पंजीकृत रजिस्ट्री नामक एक नई पहचान प्रणाली की शुरुआत हुई है। कक्षा प्रथम से 12वीं तक पढ़ने वाले छात्रों की विशेष तैयारी की प्रक्रिया शुरू की गई है। राजनांदगांव जिले में भी अपार के माध्यम से छात्रों की सुविधा पर ध्यान देते हुए अपारदीप बनाया जा रहा है।

यूनिक एक्सचेंज के लिए अपार कार्ड
जिला शिक्षा अधिकारी यात्रा सिंह बघेल ने लोकल 18 को बताया कि पूरे देश में सभी बच्चों के लिए यूनिक कार्ड बनवाए जा रहे हैं। अपार कार्ड के माध्यम से देश के किसी भी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की पहचान इसके माध्यम से की जा सकती है। इसके साथ ही ड्रॉप आउट के बारे में भी जाना जा सकता है। राज्य में 9वीं से 12वीं तक के लिए पोर्टल जारी किया गया है और हमारे जिलों में लगभग 46 प्रतिशत बच्चों के अपरिपक्व आशिकों ने दाखिला लिया है। अस्वीकृत नाम या किसी अन्य दस्तावेज़ के नाम में भिन्नता है या कोई अन्य त्रुटि है। यह स्कूल या कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पूरे देश में एक जैसी बनी रहती है।

ओपनगी स्टूडेंट्स की कुंडली, ड्रॉप आउट को रोकें में मदद
अपारपूल के माध्यम से बच्चों की कुंडली खुलेगी, जिसमें उनकी शिक्षा से लेकर उनके संबंध में पूरी जानकारी शामिल रहेगी। इसके साथ ही अगर कोई बच्चा स्कूल छोड़ता है, ड्रॉप आउट करता है तो इसे रोकने में भी मदद करें। इसके माध्यम से शीघ्र पता लगाया जा सकता है कि बच्चे ने फाइनल ड्रॉप आउट क्यों किया है, क्योंकि जांच के बाद उसे शिक्षा से जोड़ा जा सकता है।

अपारदर्शी को लेकर 46 प्रतिशत काम पूरा
राजनांदगांव जिले में राज्य स्तर पर 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के लिए अपारा कार्ड के लिए पोर्टल जारी किया गया है। जिले में अपारदर्शिता को लेकर 46 प्रतिशत कार्य पूरा किया गया है। वहीं आने वाले समय में अन्य कक्षा के छात्रों का भी अपारदर्शी बनाया जाएगा। निरंतर लेकर लगातार शिक्षा विभाग की तैयारी चल रही है।

अपरिपक्व सेहोंगे कई फायदे
अपारदर्शी एक अनोखी पहचान है जो पूरे भारत में छात्रों के लिए ‘एक देश एक छात्र/छात्रा’ के रूप में काम करना चाहती है। यह स्कूल के बीच छात्रों के स्थान निर्धारण प्रक्रिया को और भी आसान बना देता है। इसके साथ ही अपार सम्मान के माध्यम से छात्रों की पहचान और अपमान होगा,अपराध मूल्य न केवल जीवन भर काम करेगा, बल्कि शिक्षा से लेकर पहुंच तक को आसानी से बनाएगा। इससे स्कूल छोड़ने वाले छात्रों का पता लगाना और उन्हें वापस मुख्य धारा में लाना भी आसान हो जाएगा।

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