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रामकुमार नायक, रायपुरः– आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम आपको राजधानी रायपुर की ऐसी जांबाज महिला पुलिस अधिकारी के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने जज्बे से नाम रोशन किया. इस महिला ने तमाम चुनौतियों को पार करते हुए खुद को साबित किया और ड्यूटी के दौरान कभी अपने आप को महिला समझकर कमजोर महसूस नहीं होने दिया. हम छत्तीसगढ़ डायल 112 की डीएसपी पूर्णिमा लांबा की बात कर रहे हैं, जिन्होंने कई अलग-अलग थानों में तैनाती देकर महिलाओं का हौसला बुलंद किया. साथ ही पुरुषों के बीच रहकर कैसे बेहतर कर सकते हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण पेश किया. पूर्णिमा पुलिस विभाग में आने से पहले पूर्णिमा कॉलेज में पढ़ती थी. उन्होंने पुलिस विभाग परीक्षा दी और सफल हो गईं.
सब इंस्पेक्टर के रूप में हुआ चयन
डायल 112 की डीएसपी पूर्णिमा लांबा ने लोकल 18 को बताया कि पुलिस में उनका चयन 1998 बैच में सब इंस्पेक्टर के रूप में हुआ, तब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ एक हुआ करता था. इसलिए ट्रेनिंग सागर में हुई और ट्रेनिंग पीरियड 1 साल का था. वहां से ट्रेनिंग के बाद जब फील्ड में वापस आए, तो पहली पोस्टिंग रायपुर सिविल लाइन थाने में ट्रेनी थानेदार के रूप में हुई थी. यहां से एक साल के ट्रेनिंग पीरियड की शुरुआत हुई. रायपुर में जब पोस्टिंग हुई थी, तब पुलिस डिपार्टमेंट में बहुत कम लड़कियां थी. कहा यह भी जाता है कि पुलिस विभाग पुरुष प्रधान विभाग है. पहले केवल पुरूष ही थाना प्रभारी होते थे. ऐसे में पूर्णिमा ने थाना प्रभारी का दायित्व बखूबी निभाया.
सफर निश्चित तौर पर मुश्किल था, लेकिन ट्रेनिंग के दौरान एक साल तक उन्होंने कड़ी मेहनत की. उस समय 4 लड़के और पूर्णिमा अकेली लड़की थी, जो सब इंस्पेक्टर होते हुए थानेदार की ट्रेनिंग ले रही थी. इन पांचों में केवल पूर्णिमा को ही थाना प्रभारी के रूप के उरला थाना में पोस्टिंग मिली. पूर्णिमा ने आगे बताया कि उरला थाना में छह माह काम के दौरान मैंने कभी महिला की हैसियत से काम नहीं किया, बल्कि एक थानेदार की हैसियत से काम किया. इसलिए वर्किंग का यह समय बहुत शानदार रहा.
रिकॉर्ड आज भी कायम
उरला जैसे देहात एरिया के थाने में काम को देखते हुए नवापारा राजिम थाना में प्रभारी के रूप में काम करने का मौका मिला. नवापारा राजिम में 1996 में थाना बना था और 2001 में जब मेरी पोस्टिंग हुई, उससे पहले वहां 4 साल में दर्जन भर थानेदार बदल चुके थे. जहां एवरेज पोस्टिंग 1 से डेढ़ साल थी, ऐसी जगह मैनें लगातार तीन साल थानेदार रहकर रिकॉर्ड बनाया है. यह रिकॉर्ड आज भी कायम है. पूर्णिमा रायपुर के उरला, राजिम, पुरानी बस्ती, खमतराई और गंज थाने में सेवा दे चुकी हैं.
नोट:- हैलो..माल तैयार है, मिलिए कोड वर्ड हसीना से, लग्जरी गाड़ी से बेचती थी बच्चा..आधा झारखंड..बंगाल खंभा!
जनता करती है सराहना
पब्लिक का याद करना ही पुलिस वालों के लिए इनाम होता है. ऐसी ही घटना पूर्णिमा लांबा के साथ भी होती है, यानी जिन-जिन थाना क्षेत्र में उन्होंने ड्यूटी की, उस क्षेत्र के लोगों के फोन आज भी आते हैं और वे कहते हैं कि गुंडागर्दी बढ़ गई है मैडम! अगर आप रहती, तो इनको ठीक कर देती. साथ ही पूर्णिमा के द्वारा ड्यूटी के दौरान किए गए कार्यों की सराहना पब्लिक करती है.
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Tags: Chhattisgarh news, International Women Day, Local18, Raipur news
FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 21:04 IST