कोरबा.आज के दौर में युवा खेती-किसानी से दूर ही रहना पसंद करते हैं। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल के बारे में बता रहे हैं, जो डेरी फॉर्मिंग (दूध प्रोडक्शन) का बिजनेस कर रहा है, प्रैक्टिस की एक नई इबारत लिख रहे हैं। ये छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर में रहने वाले गौरव यादव की कहानी है। . गौरव 45000 रुपये की नौकरी छोड़ी रेजिडेंट से कोरबा और घर में पल रही 4 से अपनी सफलता की नई शुरुआत।
गौरव यादव उस कंपनी में कार्यरत हैं, जो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से डेनमार्क की डिग्री लेने के बाद हैदराबाद के मे एसोसिएट प्रोफेशनल प्रोफेशनल जॉब करती थी, जहां उनका महीने का इनकाउंटर 45000 से अधिक हो जाता है। जॉब में सीमित आय को देखते हुए उनके मन में बिजनेस का जन्म हुआ और वे अपने शहर कोरबा लौट आए। जहां घर पर 4 गए वहां चार दिनों के बिजनेस से उन्होंने अपनी डेरी फॉर्मिंग की शुरुआत की। आज उनके पास देसी और विदेशी नस्ल की कुल 42 गायें हैं, जहां दूध से वे हर महीने 1 लाख 80 हजार रुपये के आसपास की कमाई करते हैं।
देशी चिकन और अंडे से कमाएँ 25 हज़ार महीने के
डेरी फॉर्मिंग में सैक्सेस के बाद उन्होंने कहा कि देशी बियर का व्यवसाय शुरू हुआ जिसमें उनकी लागत कम और मेहनत में अच्छा दावा हुआ। अब फार्मास्युटिकल फॉर्मिंग के साथ ही छोटे से स्थान पर देशी मुर्गी का पालन किया जाता है। उसे बताया गया कि देसी मुर्गी और उसके दूसरे बिककर की महीने की लगभग 25000 की प्रॉफिट हो जाती है।
डेरी फॉर्मिंग में आने वाले युवाओं को संयम रखना जरूरी
गौरव यादव का मानना है कि डेरी फॉर्मिंग का बिजनेस शुरू करने की इच्छा रखने वाले युवाओं को संयम रखना जरूरी है। जब भी कोई यह बिजनेस शुरू करता है तो कम से कम 2 साल प्रॉफिट के बारे में मे लालच ना रखें। पहले ग्राहक की सेवा करें और फिर 2 साल के अंतराल में आपका बिजनेस बैलेंस हो जाएगा। जिससे आपको खर्च और बचत समझ लाभ होगा।
पहले प्रकाशित : 18 जुलाई, 2024, 17:19 IST