साल में सिर्फ एक बार ये मंदिर मेला लगता है, रात में नहीं रहता कोई इंसान, बेहद कट्टर वाली है वाजिब -

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श्योपुर. जिले में पार्वती माता का एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर है जहां साल में एक बार भादो महीने की धन-धान्य के बाद डकैती वाले पहले सोमवार के दिन हजारों नहीं बल्कि लाखो अद्भुत दर्शनों के लिए मूर्तियां बनाई जाती हैं। दिन में विशाल मेले में भी सजावट होती है, लेकिन रात की आरती के साथ ही मंदिर पूरी तरह से सूना हो जाता है। कोई भी इंसान इस रात यहां नहीं रुकता। लोगों का कहना है कि वहां कोई रुका तो वह जिंदा नहीं बचेगा क्योंकि इस रात मंदिर पर भूत-प्रेत, जिन-सर्प, बिच्छू और शेर आदि जानवर माता के दर्शन के लिए आते हैं जो इंसान अगर वहां देख लें तो जिंदा नहीं बचता।

यह मंदिर श्योपुर जिला मुख्यालय से करीब 108 किमी दूर वीरपुर तहसील क्षेत्र के श्यामपुर और जमुर्दी ग्राम पंचायत के बीच चंबल नदी से लगे बीहड़ों में स्थित है। जानवरों के प्रतिनिधि हैं कि सैकड़ों साल पहले एक चरवाहे को चारा चराते समय चंबल के बीहड़ों में एक मूर्ति मिली थी। चरवाहा उठा लिया तो मूर्ति से आवाज आई कि तुम मुझे लेकर तो जा रहे हो, मैं साथ में चलचित्र भी लेकिन, तुम मुझे जहां भी रख दोगे फिर वहां से नहीं जाऊंगी।

चरवाहे ने इस बात को स्वीकार करते हुए मूर्ति को अपने कंधे पर रख लिया। वह काफी दूर तक मूर्ति को लेकर आया और जमुड़ी गांव के करीब पहुंचा और उसके बाद जैसे ही वह प्यासा लगा वह भूल गया और मूर्ति को कुंए के किनारे पानी पीने लगा। इसके बाद मूर्ति कहीं स्थापित की गई और चरवाहे के प्रयास के बाद भी वहां से हिली नहीं गई।’ उस समय डकैतों के जीवित बीहड़ में जाने की हर कोई हिम्मत नहीं करता था।

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डुवल्ली गांव के निवासी गौरी चरण शर्मा ने लिखा है कि राजस्थान के किसी अमीर व्यक्ति का इकलौता पुत्र सर्प दानश की मृत्यु हो गई थी। निधन को उन्होंने चंबल नदी में जलदाग देकर बहा दिया। मृत्यु बहुत-बहुत जमुर्दी गांव के पास पहुंची, तभी माता ने स्वप्न पुजारी को आदेश दिया कि उनकी मृत्यु को उनके स्थान पर जिंदा कर दिया जाए। शव को वहां जैसे ही लाया गया, जल के छींटे देते हुए वह जीवित हो गया। जब उसके पिता के पास यह समाचार पहुंचा तो वह वहां पहुंचे और माता के मंदिर के बाकी हिस्सों को स्टॉक में डाल दिया। यदि किसी क्षेत्र में कोई सर्प-बिच्छू काटता है तो पार्वती माता के नाम की भभूति भर से उस व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती। इसके अलावा माता के मंदिर पर जो भी मुक़द्दमा लेकर जाते हैं, उनका मुक़दमा पूरी तरह से होता है।

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पहले प्रकाशित : 9 सितंबर, 2024, 23:40 IST

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