ज़ब्त. दीपावली के अवसर पर जबलपुर पुलिस विभाग की ओर से जारी एक ऑर्डर में चार दिनों से शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। ठीक पहले यह ऑर्डर जुआ-सट्टा चैलेंज और विक्रय वाले पर कार्रवाई को लेकर जारी हुआ था। इसमें कहा गया था कि नदी, तालाब, पत्थरों के आसपास या फिर लेवल बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर, सेकेंड फ्लोर या उसके ऊपर उसके द्वारा संचालित जूए की फ़ॉर्ड्स पर एक्शन न की जाए। बल्कि, शोर मचाने वाले को वहां से भगाया जाए। इस ऑर्डर की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी. देखते ही देखते हर स्पेशलिस्ट ने इस फीडबैक को शुरू कर दिया।

वास्तव में, इस आदेश के अनुसार जुआ सट्टा और देश वाले लोगों के खिलाफ पुलिस की सहानुभूति और “पुलिस में डर” का अंदेशा नजर आ रहा था। यह भी लग रहा था जैसे पुलिस जुआरी और सटोरियों से डरी हुई है। वह उन्हें जुआ खेलने की जगह बता रही है। इस आदेश का वास्तविक अर्थ यह था कि नदी, तालाब, कुआं या फिर निचली इमारतों में संचालित जुआ के मकानों पर जब भी पुलिस की रेड होती है तो जुआरी या सटोरिया वहां से किसी भी कीमत पर पुलिस से बचने का प्रयास किया जाता है। वे भागते हैं और गंभीर अविश्वास का शिकार हो जाते हैं। उसके बाद उनके घायल की जवाबदारी पुलिस विभाग के स्मारक पर मौजूद है। पुलिस विभाग की ओर से चेतावनी के साथ सावधानियां बरतने के निर्देश जारी किए गए हैं।

एसपी ने कही ये बात
जबलपुर पुलिस के इस आदेश में लिखे गए शब्दों का अर्थ विभाग के उद्देश्य के अनुसार स्पष्ट नहीं हो रहा था। आख़िरकार यह आदेश पुलिस विभाग की ओर से जारी किया गया। हालाँकि कुछ देर बाद आईमैक ऑर्डर भी जारी हुआ। कहा कि जहां-जहां भी इस तरह के जुए के आरोपी संचालित होते हैं, वहां-वहां कार्रवाई के दौरान सावधानी बरतने का निर्देश दिया जाता है। इस संबंध में जब जैपला एसपी संपत उपाध्याय से पूछा गया तो उन्होंने पहले जारी किए गए ऑर्डर को लिटरा मिस्टेक के नतीजे बताए। हालाँकि, अब यह आदेश कांग्रेस नेताओं को सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं।

पहले प्रकाशित : 4 नवंबर, 2024, 12:35 IST

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