मिथिलेश गुप्ता

इंदौर. मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में शुक्रवार को मेयर इन काउंसिल की बैठक हुई. इस बैठक में ऐतिहासिक रेसीडेंसी कोठी का नाम परिवर्तन का खुलासा किया गया। अब रेसीडेंसी कोठी छत्रपति शिवाजी कोठी कहलोइ। बाबरी मस्जिद के शासक काल में रेजिडेंसी कोठी में ब्रिटिश राज की सत्ता का केंद्र था। 204 साल पहले रेसीडेंसी कोठी का निर्माण हुआ था। 1857 की क्रांति के समय भी रेसीडेंसी कोठी पर ही बगावत हुई थी। वर्ष 1820 में रेसीडेंसी कोठी का निर्माण शुरू हुआ था। इसका इस्तेमाल सेंट्रल इंडिया एजेंसी के मुख्यालय में किया जाता था। अभ्यारण्य से लेकर आसपास के इलाकों तक को नियंत्रित किया गया।

कहते हैं कि 1857 की क्रांति के दौरान सहादत खान और उनके साथियों ने रेसीडेंसी कोठी पर हमला कर दिया था। कोठी के मेन गेट को ऊपर से उड़ा दिया गया था। हमलों में कोठी का गेट पूरी तरह से टूट गया था।

रेसीडेंसी कोठी काफी खास है

कहते हैं कि रेसीडेंसी इलाके से ही इंदौर में शिक्षा और स्वास्थ्य की शुरुआती बुनियाद राकी थी। रेसीडेंसी स्कूल बनाये गये थे. इतना ही नहीं इंदौर की पहली टेलीग्राफ और पोस्टल सेवा भी इसी क्षेत्र से शुरू की गई थी। एसोसिएट्स हैं कि रेजिडेंसी मार्केट यानी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी ने टैक्स फ्री कर रखा था।

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मध्य प्रदेश के नेताओं ने की पोस्ट.

कांग्रेस ने स्पष्ट की दस्तावेज़ी

इधर, कांग्रेस ने रेसीडेंसी कोठी का नाम बदलकर स्पष्ट किया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रदेश महासचिव ने सोशल प्लेटफॉर्म मीडिया एक्स पर एक पोस्ट के जरिए अपना विरोध जाहिर किया है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘इंदौर में रेसीडेंसी कोठी का नाम देवी अहिल्या रेसीडेंसी कोठी रखा गया था। विकसित करने में होलकर राजवंश का सर्वोपरि योगदान है। देवी अहिल्या बाई होल्कर के दर्शन हुए। महाराष्ट्र चुनाव में वोट बैंक के लिए शिवाजी का नाम रखा गया है।’

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